अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् । सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ।।
अर्थात्–जो आधे शरीर वाले हैं, महापराक्रमी हैं, सूर्य और चन्द्र को ग्रसने वाले हैं तथा सिंहिका के गर्भ से उत्पन्न हैं, उन राहु को मैं प्रणाम करता हूँ ।
राहु का स्वरुप
राहु की माता का नाम सिंहिका है, जो विप्रचित्ति की पत्नी तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री थी। माता के नाम से राहु को सैंहिकेय भी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु का मुख भयंकर है। राहु को सांप का मुख कहा गया है। ये सिर पर मुकुट, गले में माला तथा शरीर पर काले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। इनके हाथों में तलवार, ढाल, त्रिशूल और वरमुद्रा है। राहु सिंह के आसन पर विराजमान हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार राहु का रथ अंधकार रूप है। इसे कवच आदि से सजाए हुए काले रंग के आठ घोड़े खींचते हैं।
राहु की विशेषता
ईष्ट देवी : सरस्वती
रंग : नीला , काला
नक्षत्र : आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा
गुण : सोचने की ताकत, डर, शत्रुता
शक्ति : कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने की शक्ति।
शरीर का भाग : ठोड़ी, सिर, कान, जिह्वा
पशु : काँटेदार जंगली चूहा, हाथी, बिल्ली व सर्प
वृक्ष : नारियल का पेड़, कुत्ता घास
वस्तु : नीलम, सिक्का, गोमेद, कोयला
फूल : नीले
दिशा : नैऋत्य कोण
बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है. जैसे मान लो कि अकस्मात हमारे दिमाग में कोई विचार आया या आइडिया आया तो उसका कारण राहु है। राहु हमारी कल्पना शक्ति है तो बुध उसे साकार करने के लिए बुद्धि कौशल पैदा करता है।
यह ग्रह वायु तत्व म्लेच्छ प्रकृति तथा नीले रंग पर अपना विशेष अधिकार रखता है।
ध्वनि तरंगों पर राहु का विशेष अधिकार है।
राहु-केतु का स्वतंत्र प्रभाव नहीं होता है। वे जिस राशि में या जिस ग्रह के साथ बैठते हैं, उसके अनुसार प्रभाव दिखाते हैं।
जातक पारिजात के अनुसार जो ग्रह राहु के साथ बैठा हो वह शुभ फल नहीं देता। राहु जिस राशि में बैठा हो तो उसका स्वामी अच्छा फल नहीं देता है। राहु राशिपति के गृह में जो ग्रह बैठा है वह अच्छा फल नहीं देता ।
मीन राशि में गया राहु हमेशा कष्टकारी होता है.
कारक - दादा, वाणी की कठोरता, खोजी, प्रवृत्ति, विदेश प्रवास भ्रमण, अभाव, चमड़ी पर धब्बा, त्वचा रोग, सांप के काटने, जहर, महामारी, पर स्त्री से संबंध, नाना-नानी, निरर्थक तर्क-वितर्क, कपट, धोखे, वैधव्य, दर्द और सूजन, ऊंची आवाज से कमजोरों को दबाने, और दिल को ठेस पहुंचाने की प्रवृत्ति, अंधेरे, चुगलखोरी, पाखंड, बुरी आदतों, भूख व डर से दिल बैठने की अवस्था, अंग-भंग, कुष्ठ रोग, ताकत, खर्चे, मान-मर्यादा, शत्रु, देश से निस्कासन, तस्करी, जासूसी, आत्महत्या, शिकार, गुलामी, पत्थर .
राहु शिव के अनन्य भक्त हैं। एक श्लोक में इन्हें भगवान नीलकण्ठ के ह्वदय में वास करने वाला कहा गया है-
कालदृष्टि कालरूपा: श्रीकण्ठ: ह्वदयाश्रय:। विद्युन्तदाह: सैहिंकयो घोररूपा महाबला: ||
राहु के खराब होने से परेशानी
– शराब पीना और पराई स्त्री से संबंध रखना।
– झूठ बोलना और धोखा देना।
– अपने गुरु या धर्म का अपमान करना।
– तांत्रिक कार्य या गड़े धन या गलत की इच्छा।
– किचन छोड़कर अन्य जगह भोजन करना।
– हमेशा कटु वचन बोलना।
– ब्याज का धंधा करना।
– लगातार तामसिक भोजन करना।
राहु खराब होने के लक्षण
– मद्यपान या सेक्स में ज्यादा लिप्त रह सकते हैं।
– बात-बात पर आपा खोना।
– वाहन दुर्घटना, पुलिस केस या पत्नी से झगड़ा।
– आर्थिक और मानसिक तनाव।
– सिर में चोट लग सकती है।
– गैरजिम्मेदार और लापरवाह होना।
– ससुराल पक्ष के लोगों से झगड़ा।
– सोचने समझने की ताकत कम होना।
– जीवन में डर और शत्रु में बढ़ोतरी।
– आपसी तालमेल में कमी।
शुभ राहु से फायदे
– व्यक्ति दौलतमंद होगा
– कल्पना शक्ति तेज होगी
– रहस्यमय या धार्मिक बातों में रुचि होगी
– व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या अन्य गुणों का विकास होगा
राहु के कारण होने वाली बीमारी और परेशानी
– गैस की परेशानी
– बाल झड़ना
– पेट संबंधी रोग
– बवासीर
– पागलपन
– यक्ष्मा रोग
– निरंतर मानसिक तनाव
– लगातार सिरदर्द
राहु को प्रसन्न करने के उपाय
राहु बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: (108 बार)
दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं.
एक नारियल ग्यारह साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें.
शिवलिंग पर जलाभिषेक करें.
अपने घर के नैऋत्य कोण में पीले रंग के फूल अवश्य लगाएं.
तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें.
अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए. सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है. प्रतिदिन
सुबह चन्दन का टीका भी लगाना चाहिए. अगर हो सके तो नहाने के पानी में चन्दन का इत्र डाल कर नहाएं.
शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए.
शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए.
हाथी को हरे पत्ते, नारियल गोले या गुड़ खिलाएं.
0 टिप्पणियाँ