मार्गशीर्ष अमावस्या से मिलेगा सन्तान Baby सुख और बहुत कुछ

हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
दिसंबर 3, 2021 को 16:58:21 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 4, 2021 को 13:15:21 पर अमावस्या समाप्त
दिसंबर 3, 2021 को 16:58:21 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 4, 2021 को 13:15:21 पर अमावस्या समाप्त
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
शास्त्रों के अनुसार देवताओं से पहले पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों की श्राद्ध और पूजन करना चाहिए। मार्गशीर्ष अमावस्या को व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो या संतान न हो तो ऐसे लोगों को अमावस्या के दिन व्रत-पूजन करना चाहिए। विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि अमावस्या का व्रत रखने से पितरों की आत्मा ही नहीं, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त प्राणी तृप्त होते हैं। अमावास्या पर किया गया दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

शास्त्रों के अनुसार देवताओं से पहले पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों की श्राद्ध और पूजन करना चाहिए। मार्गशीर्ष अमावस्या को व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो या संतान न हो तो ऐसे लोगों को अमावस्या के दिन व्रत-पूजन करना चाहिए। विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि अमावस्या का व्रत रखने से पितरों की आत्मा ही नहीं, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त प्राणी तृप्त होते हैं। अमावास्या पर किया गया दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
पूजा विधि
पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं।
प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें और नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।

पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं।
प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें और नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।
मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था गीता का ज्ञान
हिंदू धर्म में गीता सबसे पवित्र मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास में ही गीता का ज्ञान दिया था और यही कारण है कि इस मास में पड़ने वाले हर तीज-त्योहार बहुत खास होता है। इस मास में यदि मनुष्य धार्मिक कार्य करे तो उसे बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में गीता सबसे पवित्र मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास में ही गीता का ज्ञान दिया था और यही कारण है कि इस मास में पड़ने वाले हर तीज-त्योहार बहुत खास होता है। इस मास में यदि मनुष्य धार्मिक कार्य करे तो उसे बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या से जुड़ी खास 10 बातें
- मार्गशीर्ष के महीने में गीता जयंती मनाई जाती है। इसी माह में श्री कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसी कारण मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि अत्यधिक लाभदायी तथा पुण्यदायी मानी गई है।
- पुराणों के अनुसार इस दिन व्रत-पूजन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, पितृ दोष दूर होता है तथा पितृ अपना आशीष अपने परिवारजनों को देते हैं।
- मार्गशीर्ष अमावस्या को पितृ पूजा का विशेष दिन माना गया है।
- मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने कुंडली के दोष दूर होते हैं।
- इस दिन गंगा स्नान, नदी, तट या सरोवर पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
- शाम के समय शिवालय जाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं तथा घर के मंदिर में दीप जलाकर भगवान का पूजन-अर्चन करें।
- अगर किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है और वो जीवन में परेशानियों का अनुभव कर रहे हैं तो वे दिन उपवास रखकर पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
- इस दिन भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और आरती करें।
- संतान की चाह रखने वालों को भी इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए तथा संतान सुख की प्रार्थना करनी चाहिए।
- अपनी स्वेच्छा और सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करें।
- मार्गशीर्ष के महीने में गीता जयंती मनाई जाती है। इसी माह में श्री कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसी कारण मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि अत्यधिक लाभदायी तथा पुण्यदायी मानी गई है।
- पुराणों के अनुसार इस दिन व्रत-पूजन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, पितृ दोष दूर होता है तथा पितृ अपना आशीष अपने परिवारजनों को देते हैं।
- मार्गशीर्ष अमावस्या को पितृ पूजा का विशेष दिन माना गया है।
- मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने कुंडली के दोष दूर होते हैं।
- इस दिन गंगा स्नान, नदी, तट या सरोवर पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
- शाम के समय शिवालय जाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं तथा घर के मंदिर में दीप जलाकर भगवान का पूजन-अर्चन करें।
- अगर किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है और वो जीवन में परेशानियों का अनुभव कर रहे हैं तो वे दिन उपवास रखकर पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
- इस दिन भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और आरती करें।
- संतान की चाह रखने वालों को भी इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए तथा संतान सुख की प्रार्थना करनी चाहिए।
- अपनी स्वेच्छा और सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करें।
0 टिप्पणियाँ