लाल किताब Lal Kitab: ज्योतिष शास्र के अनुसार राशियों और ग्रहों का प्रगाढ़ संबंध होता है। बारह राशियां और नौ ग्रह होते हैं। ग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि ये सात ग्रह और राहु व केतु छाया ग्रह माने गए हैं। राशि चक्र में 12 भाव होते हैं। इन बारह भावों में ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही अच्छे और बुरे कर्मों का फल प्राप्त होता है।
ज्योतिष ग्रंथों में सूर्य को राजा माना गया है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य को समर्पित है। जिन जातकों का सूर्य शुभ राशि में होगा वह तेजस्वी, उत्कृष्ट, विरोधियों को परास्त करने वाला होता है, वहीं यह अशुभ राशि में हो तो जातक दूसरों का बुरा करने वाला, बेहद ही नीच स्वभाव वाला माना गया है। आइये जानते हैं लाल किताब के अनुसार सूर्य के 12 भावों में स्थिति के अनुसार फल-
भाव-1 – सूर्य के पहले भाव में होने से स्त्री, माता को परेशानी, नाक, सिर ऊंचा, शरीर कमजोर होता है। ये जातक स्वाभिमानी, सरकार में मंत्री होते हैं।
उपाय-यदि सूर्य की स्थिति अशुभ है तो विवाह में देरी नहीं करना चाहिए। जहां लोग पानी की दिक्कत झेल रहे हैं वहां ट्यूबवेल या बोर कराएं।
भाव-2 – सूर्य के दूसरे भाव में रहने पर स्त्री के कारण विवाद होने की आशंका रहती है। लेकिन इस भाव में सूर्य की स्थिति शुभ फल भी प्रदान करता है। जातक शक्तिशाली व प्रभावशाली होता है।
उपाय-दान में कोई भी सामान नहीं लें। शनिदेव का उपाय करें। धार्मिक स्थलों में तेल का दान करें। गरीबों को खाना खिलाएं। महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव रखें।
भाव-3 – सूर्य के तीसरे भाव में होने पर जातक स्वावलंबी, अपनी कमाई पर जीवनयापन करने वाला, भाइयों की देखरेख करने वाला होता है। सूर्य की इस भाव में स्थिति जातकों को शुभ फल प्रदान करता है। लाभ दिलाता है। लेकिन नीच प्रवृत्ति हो तो सूर्य का प्रभाव बुरा होता है।
उपाय– अपने चरित्र को साफ सुथरा और उत्कृष्ट सोच रखें। घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद लें, उन्हें कभी नाराज नहीं करें।
भाव-4 – सूर्य के चौथे भाव में रहने पर जातक को माता, बहन का सुख नहीं मिलता है। विदेश या देश में ही अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में रहना पड़ता है। ये जातक अक्सर काम बदलते रहते हैं।
उपाय– दृष्टिहीनों की सेवा करें। वस्त्र दान करें। जरूरतमंदों को खाना खिलाएं। सामूहिक भंडारा करा सकते हैं या मंदिरों में सहयोग दे सकते हैं।
भाव-5 – सूर्य के पांचवे भाव में रहने पर जातक बेहद विद्वान होता है। पेट से जुड़ी तकलीफ हो सकती है। क्रोध की अधिकता होती है। परिवार की उन्नति की ओर पूरा ध्यान रहता है। शासन से लाभ मिलता है। इन जातकों के माता-पिता सुखी होते हैं।
उपाय– बंदरों को खाना खिलाएं। जरूरतमंदों को कपड़ा दान करें। झूठ बोलने से बचें। किसी को नुकसान पहुंचाएं। कमजोरों की सहायता करें।
भाव-6 – सूर्य के छठवें भाव में होने पर जातक ननिहाल पक्ष से दुखी होता है। इनका ज्यादा समय कानूनी मामलों में गुजरता है। खर्च अधिक होता है। हालांकि विरोधी इन जातकों से दब कर रहते हैं। ये जातक भाग्य पर भरोसा रखने वाले होते हैं। आने वाली कठिनाइयों को लेकर ये बेफिक्र होते हैं।
उपाय– इन जातकों को बुध ग्रह का उपाय करना चाहिए। मित्रों को भोजन कराना चाहिए। चांदी या गंगाजल हमेशा अपने घर में रखें। मंदिर में दान करते रहें। सोते समय सिरहाने के पास पानी रखकर सोएं।
भाव-7– सूर्य के सातवें भाव में रहने पर इन जातकों की स्त्री बीमार रहती है। व्यापार में हानि की आशंका बनी रहती है। जातक क्रोधी प्रवृत्ति का होता है।
उपाय– काली गाय की सेवा करें। किसी भी काम को शुरू करने से पहले पानी जरूर पीएं। जमीन में तांबा गाड़ना चाहिए।
भाव-8 – सूर्य के आठवें भाव में होने पर जातक धैर्यहीन होता है, क्रोध की अधिकता रहती है। काम से पीड़ित होता है। कुछ जातक तपस्वी प्रवृत्ति के होते हैं। बीमारी लगी रहती है।
उपाय– ये जातक मीठा खाएं और पानी पीने के बाद काम शुरू करें। गाय की सेवा करें। मंदिर में भंडारा कराएं। जरूरतमंदों को दान दें।
भाव-9 – सूर्य के नवें भाव में होने पर जातक बेहद भाग्यशाली होता है। भौतिक सुख की अधिकता रहती है, लेकिन भाई से दुखी रहता है। जातक का परिवार बड़ा होता है। सूर्य के इस भाव में होने से जातक की प्रवृत्ति उत्तम होती है।
उपाय– इस भाव में सूर्य के होने पर जातकों को चांदी का दान करना चाहिए, इससे सूर्य की शक्ति मिलती है। किसी से दान न लें। हमेशा प्रभु की भक्ति करें। लोगों से सहजता से बातचीत करें।
भाव-10 – सूर्य के दसवें भाव में स्थित होने से जातक को आर्थिक लाभ होता है। वाहन सुख मिलता है। संपत्ति का स्वामी होता है। लेकिन संदेही प्रवृत्ति का होता है। इसके चलते दिक्कत होती रहती है।
उपाय– इन जातकों के लिए सफेद रंग लाभदायक होता है। नदी में तांबा प्रवाहित करें। मछली को चारा खिलाएं। यात्रा शुरू करने के पहले हनुमान जी का स्मरण करें।
भाव-11 – सूर्य के ग्यारहवें भाव में होने से जातक धर्म में प्रवृत्त रहने वाला होता है। आर्थिक संपन्नता रहती है। ऎशोआराम में जीवन जीने वाला होता है। संतान का बेहतर ढंग से लालन पालन करने वाला होता है।
उपाय– इन जातकों को शराब, अंडा, मांस का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। शनिदेव की पूजा करें। रात को हनुमान चालीसा पढ़कर सोएं। मंदिर दर्शन करने के लिए जाते रहें।
भाव-12 – सूर्य के बारहवें भाव में होने से जातक नेत्र विकार से पीड़ित होता है। जीवन में उलझन बनी रहती है। धर्म का पालन करने में तत्पर रहता है। कानूनी मामले चलते रहते हैं।
उपाय– इन जातकों को गलत गवाही देने से बचना चाहिए। किसी के सामान पर अपना हक नहीं जताना चाहिए। अपने धर्म का पालन करना चाहिए।
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