लाल किताब के यह अत्यंत महत्वपूर्ण नियम होते हैं जिनके द्वारा कुण्डली का फल कथन एवं उपाय किया जाता है. लाल किताब के इन सभी भावों के अध्ययन को लेकर जो बत सामने आती है वह यह है कि इन भावों के द्बारा उनके कारक तत्व को भी समझा जा सकता है और उन्हीं के द्वारा कुण्डली का सही प्रकार से निर्माण संभव हो पाता है.
जिनकी कुण्डली में सूर्य सिंह अथवा
वृश्चिक राशि में बैठा है। ऐसे व्यक्ति के लिए लाल किताब कहता है कि इन्हें सूर्य
से संबंधित वस्तुएं जैसे गेहूं, गुड़, तांबे की
वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। जो लोग इनका दान करते हैं उनका सूर्य मंदा हो
जाता है और सूर्य से प्राप्त होने वाले शुभ फलों में कमी आती है। इससे नौकरी में
अधिकारी से मतभेद होता है। सरकारी कार्यों में बाधा आती है। पिता एवं पैतृक
संपत्ति के सुख में कमी आती है। जिनकी जन्मपत्री में सूर्य 7वें अथवा 8वें घर में बैठा
है उन्हें सुबह एवं शाम के समय दान नहीं देना चाहिए। इससे धन की हानि होती है, आर्थिक समस्याओं
का सामना करना पड़ता है।
जिस व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्रमा
दूसरे अथवा चौथे भाव में बैठा होता है उसे माता से सुख मिलता है। सुख-सुविधाओं में
वृद्धि होती है तथा शारीरिक एवं मानसिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति
चन्द्र से संबंधित वस्तु जैसे मोती, दूध, चीनी, चावल का दान करता
है। उनका चन्द्रमा मंदा हो जाता है, चन्द्र से संबंधित शुभ फलों में कमी आती है। जिनकी जन्मपत्री में
चन्द्रमा छठे भाव में होता है उन्हें धर्मार्थ हैंडपंप नहीं लगाना चाहिए।
लाल किताब में मंगल शुभ वाले व्यक्ति के
लिए मिठाई का दान करना वर्जित बताया गया है। इन्हें मसूर की दान, बेसन के लड्डू
एवं लाल वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए।
बुध को बुआ, मौसी, बहन, व्यवसाय एवं
बुद्धि का कारक कहा जाता है। बुध मजबूत वाला व्यक्ति बुध से संबंधित वस्तु जैसे
मूंग की दाल, कलम, हरा वस्त्र, घड़ा दान करता है
तो बुद्धि भ्रमित होती हैं। बुध से संबंधित रिश्तेदारों को कष्ट होता है।
लाल किताब के अनुसार जिन व्यक्तियों की
कुण्डली में गुरू सातवें घर में बैठा है उस व्यक्ति को नए वस्त्रों का दान नही
करना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे खुद ही वस्त्रों की कमी हो जाती है। गुरू
नवम भाव में, सप्तम
भाव में, चौथे
अथवा प्रथम भाव में शुभ स्थिति में बैठा हो तो गुरू से संबंधित वस्तु जैसे हल्दी, सोना, केसर एवं पीली
वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शुक्र को भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने
वाला ग्रह कहा जाता है। जिनकी कुण्डली में शुक्र दूसरे अथवा सातवें घर में हो, वृष अथवा तुला
राशि में बैठा उन्हें रेडिमेड वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को
श्रृंगार की वस्तुओं का भी दान नहीं करना चाहिए।
शनि दोष से मुक्ति के लिए ज्योतिषशास्त्र
में तेल, तिल, लोहा काले
वस्त्रों का दान करने के लिए कहा जाता है। इसके विपरीत लाल किताब में कहा गया है
कि कुण्डली में अगर शनि तुला राशि, मकर या कुंभ में हो तो व्यक्ति को इन वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
इससे शनि मंदा हो जाता है, यानी शनि के शुभ फलों में कमी आ जाती है। व्यक्ति को लाभ के बदले नुकसान
उठाना पड़ता है।
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