Sankashti Chaturthi 2022 गणेश चौथ 21 जनवरी 2022 जानिए महत्व पूजाविधि और शुभ मुहूर्त
👉🏻माघ मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का पुराणों में खास महत्व बताया गया है। 21 जनवरी 2022, शुक्रवार को सकट चौथ यानी कि संकष्टी चतुर्थी का त्योहार है। इस चतुर्थी को माघी कृष्ण चतुर्थी, तिलचौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणेश भगवान तथा सकट माता की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति। शास्त्रों के अनुसार माघ मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन व्रत रखकर शाम के वक्त चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजाविधि और इस दिन क्या-क्या करना चाहिए।
👉🏻ऐसे करें गणेशजी की पूजा और व्रत
माघ कृष्ण चतुर्थी को संकटों को हरने वाला व्रत बताया गया है। उसमें उपवास का संकल्प लेकर व्रती सबेरे से चंद्रोदयकाल तक नियमपूर्वक रहें और मन को भी काबू में रखें। चंद्रोदय होने पर मिट्टी के गणेशजी की मूर्ति बनाकर उसे लाल कपड़ा बिछाकर चौकी पर स्थापित करें। गणेशजी के साथ उनके अस्त्र और वाहन भी होने चाहिए। मिट्टी में गणेशजी की स्थापना करके षोडशोपचार से विधिपूर्वक उनका पूजन करें। उसके बाद मोदक और गुड़ से बने हुए तिल के लडडू का नैवेद्य अर्पित करें। उसके बाद तांबे के पात्र में लाल चंदन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, शमीपत्र, दही और जल एकत्र करके निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें।
👉🏻पूजा मुहूर्त
इस दिन सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक तृतीया तिथि है। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग रही है। इस दिन 9 बजकर 43 मिनट तक मघा नक्षत्र होगा इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र प्रभाव में आ जाएगा। जबकि 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक राहुकाल रहेगा। ऐसे दिन में संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ समय 9 बजकर 43 मिनट से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रात 8 बजकर 3 मिनट पर दिल्ली में इस दिन चंद्रदर्शन का समय रहेगा जबकि मुंबई में 8 बजकर 27 मिनट पर चंद्रदर्शन किया जा सकेगा। संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर सौभाग्य योग भी रहेगा।
👉🏻इस दिन क्या करें
इस दिन गणेशजी की पूजा करें और व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद एकांत में बैठकर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यन्त शुभकारी होगा।
गणेश भगवान को कच्चे दूध, पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर, पुष्प, वस्त्र आदि समर्पित करके तिल तथा गुड़ के लड्डू, दूर्वा का भोग जरूर लगाएं। लड्डू की संख्या 11 या 21 रखें। गणेशजी को मोदक (लड्डू), दूर्वा घास तथा लाल रंग के पुष्प अति प्रिय हैं
👉🏻गणेशजी को विर्घ्न हरने वाले और कार्य सिद्ध करने वाले देवता की उपाधि दी गई है। आज गणपतिजी के 12 नाम या 21 नाम या 101 नाम का ध्यान करना चाहिए।
👉🏻यदि आपका कोई बहुप्रतीक्षित कार्य बहुत दिन से अटका हुआ है तो किसी भी समस्या के समाधान के लिए आज संकट नाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें।
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