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ऑफिस का वास्तु - OFFICE KA VASTU

 वास्तुशास्त्र में कार्यालय प्रबंघन


किसी भी वास्तु खंड में सर्वश्रेष्ठ स्थिति दक्षिण दिशा की मानी गई है।वास्तुसंबंघी किसी भी पुराने वास्तुशास्त्र में दक्षिण,पश्चिम को प्रमुख स्थान नहींदिया गया है।प्राचीन योजनाओं में दक्षिणपश्चिम में शस्त्रागार के लिए स्थानबताया है।लगभग सभी शास्त्रों मे वास्तु खंड में दक्षिण दिशातथा जन्मपत्रिकामें दशम भाव (दक्षिण दिशा) को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है

अत: स्वामी, मैनेजिंग डायरेक्टर, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर या स्वमी कीअनुपस्थिति में कार्यालय में द्वितीय स्थान रखने वाले अघिकारी को बैठानाचाहिए। उन्हें यदि उत्तर की ओर मुंह करके बैठाया जाए तो श्रेष्ठ रहता हैअन्यथा पूर्व में मुख करके भी बैठाया जा सकता है।

यदि गलती से मुख्य कार्यकारी अघिकारी अग्निकोण में बैठे उसकाअघीनस्थ अघिकारी दक्षिण में बैठे तो थोडे दिनों में ही दोनों का अहम टकरानेलगेगा और अघीनस्थ अघिकारी अपने वरिष्ठ की आज्ञा का उल्लंघन करने कीस्थिति में जाएगा।

इसी भांति यदि मुख्य अघिकारी उत्तर, पश्चिम या पूर्व में बैठे तथा कनिष्ठअघिकारी दक्षिण,

दक्षिणपूर्व या दक्षिणपश्चि में बैठे तो भी वरिष्ठतमअघिकारी का नियंत्रण कार्यालय पर नहीं रह पाएगा तथा कार्यालय में अराजकता फैल जाएगी।

वायव्य कोण में बैठने वाले कर्मचारी प्राय: थोडे समय बाद वहां कम बैठना शुरूकर देते हैं तथा कुछ अघिक समय बीत जाने के बाद वे अन्यत्र कहीं नौकरीपकडने की कोशिश करते हैं।

उन्हें अघिक वेतन पर काम मिल भी जाता है।यहकोण माकेटिंग करने वाले व्यक्तियों के लिए श्रेष्ठ है।कोई भी कार्यालय प्रभारीयह चाहेगा कि माकेर्टिग से संबंघित व्यक्ति हमेशा मार्केट में ही रहे।

वायव्यकोण में कुछ गुण ही ऎसा है कि व्यक्ति के मन में उच्चाटन की भावनाएं पैदाहोती है, इसीलिए विवाह योग्य कन्याओं के लिए भी यही जगह प्रशस्त बताईगई है परंतु 10वीं, 12वीं में पढने वाली लडकियों के लिए वायव्य कोण में सोनाखतरनाक है क्योंकि उनका मन घर में नहीं लगेगा।

अग्निकोण में उन कर्मचारियों को स्थान दिया जा सकता है जिनका दिमागीकार्य है तथा जो शोघ कार्य करते रहते हैं। नित नवीन योजनाएँ बनाने वालेकर्मचारियों को भी वहां स्थान दिया जा सकता है। टैस्टिंग लेबोरेटरी भी यहांस्थापित की जा सकती है। अग्निकोण में यदि अघिक वर्षो तक बैठना पडे तोस्वभाव में आवेश आने लगता है। इसका नुकसान अघीनस्थ को तोझेलनासंस्थान को भी झेलना पड सकता है। अग्निकोण में उन्हीं कर्मचारियोंको बैठाया जाना चाहिए जिनसे पब्लिक रिलेशंस के कार्य नहीं कराए जाते हों।ऎसे कर्मचारियों को किसी बीम या तहखाने के ऊपर भी नहीं बैठाया जानाचाहिए।

ईशान कोण में यदि वरिष्ठ अघिकारी बैंठे तो भी उत्तम नहीं माना जाताक्योंकि आवश्यक रूप से अन्य शक्तिशाली स्थानों पर अघीनस्थ कर्मचारियोंको बैठना पडेगा। ईशान कोण में अपेक्षाकृत कनिष्ठ एवं उन लोगों को बैठायाजाना चाहिए जो वाक्पटु हों और मुस्कुराकर अभिवादन कर सकें।

प्राय: सभी स्थितियों में कर्मचारियों को उत्तराभिमुख बैठना चाहिए और ऎसान हो सकते की स्थिति में पूर्वाभिमुख बैठनाचाहिए।

भारी-भरकम अलमारियाँ या रैक्स नैऋत्य कोण में रखा जाना उचित होता है।ऊंचे या भारी सामान को उत्तर या ईशान कोण में रखने से कार्यालय में बाघाएंउत्पन्नहो जाती है।

बीच में, मघ्य स्थान में अर्थात ब्रास्थान में भी भारी-भरकम सामान या स्थायीस्ट्रक्चर नहीं बनाया जाना चाहिए। बीम या गढा भी यहां नहीं होना चाहिए।

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