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Discovering the Surprising Secrets of Om Unleash the Ultimate Power Within You |
ॐ के आश्चर्यजनक रहस्य की खोज और रहस्य ?
ओम हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में एक पवित्र ध्वनि और एक आध्यात्मिक प्रतीक है। यह एक शब्दांश है जो ब्रह्मांड के सार का प्रतिनिधित्व करता है और अक्सर ध्यान और योग अभ्यास के दौरान इसका उच्चारण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ध्वनि का मन और शरीर पर शांत प्रभाव पड़ता है, और कहा जाता है कि इसके कंपन ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ गूंजते हैं।
माना जाता है कि ओम का जाप करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें तनाव और चिंता को कम करना, एकाग्रता और ध्यान में सुधार करना और समग्र कल्याण को बढ़ावा देना शामिल है। बहुत से लोग ध्वनि को अपने दैनिक ध्यान अभ्यास में शामिल करते हैं या इसे अपने दिमाग को शांत करने और आंतरिक शांति पाने के तरीके के रूप में उपयोग करते हैं।
मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मन्त्र विज्ञान का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मन व तन पर पड़ता है। मन्त्र का जाप मानसिक क्रिया है। कहा जाता है कि जैसा रहेगा मन वैसा रहेगा तन। यानि यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य है तो हमारा शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा।
मन को स्वस्थ्य रखने के लिए मन्त्र का जाप करना आवश्यक है। ॐ तीन अक्षरों से बना है। अ, उ और म से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है। जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस देने वाले ॐ के उच्चारण करने मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं व व्याधियों का नाश होता है।
सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ॐ और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। इसलिए ॐ को सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है।
इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि, ॐ शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग एवं तनाव से मुक्ति मिलती है।
इसलिए धर्म गुरू ॐ का जप करने की सलाह देते हैं। जबकि वास्तुविदों का मानना है कि ॐ के प्रयोग से घर में मौजूद वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है।
ॐ मंत्र को ब्रह्माण्ड का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि ओम में त्रिदेवों का वास होता है इसलिए सभी मंत्रों से पहले इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है जैसे
ॐ नमो भगवते वासुदेव, ॐ नमः शिवाय।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि नियमित ॐ मंत्र का जप किया जाए तो व्यक्ति का तन मन शुद्घ रहता है और मानसिक शांति मिलती है। ॐ मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है और मुक्ति पाने का अधिकारी बन जाता है।
इस बात पर एकमत है कि ॐ ईश्वर का मुख्य नाम है। योग दर्शन में यह स्पष्ट है. यह ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है- अ, उ, म. प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है. जैसे “अ” से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है. “उ” से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है।
“म” से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है. ये तो बहुत थोड़े से उदाहरण हैं जो ओ३म् के प्रत्येक अक्षर से समझे जा सकते हैं. वास्तव में अनंत ईश्वर के अनगिनत नाम केवल इस ॐ शब्द में ही आ सकते हैं, और किसी में नहीं.
अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनावरहित हो जाता है?
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ओ३म् के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं!
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
यह हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
इससे पाचन शक्ति तेज होती है।
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है. रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मजबूती आती है.!
ओम के उच्चारण की विधि
प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।
ॐ के उचारण से लाभ
इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
ॐ का उचारण कितनी बार करना चाहिए इससे शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में 'टॉक्सिक'पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह रसायन की वर्षा करती है।
कम से कम 108 बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है। कुछ ही दिनों पश्चात शरीर में एक नई उर्जा का संचरण होने लगता है। ओम् का उच्चारण करने से प्रकृति के साथ बेहतर तालमेल और नियन्त्रण स्थापित होता है। जिसके कारण हमें प्राकृतिक उर्जा मिलती रहती है। ॐ का उच्चारण करने से परिस्थितियों का पूर्वानुमान होने लगता है।
ॐ का उच्चारण करने से आपके व्यवहार में शालीनता आयेगी जिससे आपके शत्रु भी मित्र बन जाते है। ॐ का उच्चारण करने से आपके मन में निराशा के भाव उत्पन्न नहीं होते है।
आत्महत्या जैसे विचार भी मन में नहीं आते है। जो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते है या फिर उनकी स्मरण शक्ति कमजोर है। उन्हें यदि नियमित ॐ का उच्चारण कराया जाये तो उनकी स्मरण शक्ति भी अच्छी हो जायेगी और पढ़ाई में मन भी लगने लगेगा।
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