G-B7QRPMNW6J Putrada Ekadashi: पौष माह में धन-धान्य से भर देने वाली पुत्रदा-एकादशी कब है? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारणा
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Putrada Ekadashi: पौष माह में धन-धान्य से भर देने वाली पुत्रदा-एकादशी कब है? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारणा

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Putrada Ekadashi Katha
Putrada Ekadashi When is Putrada Ekadashi, which fills you with wealth and grains in the month of Paush? Auspicious time, worship method and fasting observance


Putrada Ekadashi पौष मास में धन धान्य से भर देने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत जानें व्रत पारण का समय व नियम  

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का महत्व पुराणों में भी लिखा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार पुत्रदा एकादशी आती है। पहली जो पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। वहीं दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्री विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों की संतान नहीं है उन लोगों के लिए यह व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी में स. सि. योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इस व्रत की पवित्रता और अधिक बढ़ गई है। 

Putrada Ekadashi पुत्रदा एकादशी 2024 तिथि व समय:

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 21 जनवरी 2024 रविवार के दिन पड़ रही है। यह एकादशी बहुत ही खास मानी जाती है, खासकर जो लोग पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं, उनके लिए ये व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी में बेहद शुभ योग यानी शुक्ल योग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस योग में किए गए कार्य से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।

Putrada Ekadashi एकादशी तिथि आरंभ: 

20 जनवरी 2024 की शाम 07 बजकर 28 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 

21 जनवरी 2024 की शाम 07 बजकर 29 मिनट तक। उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा।

पौष पुत्रदा एकादशी पारण मुहूर्त : 

22 जनवरी की सुबह 07 बजकर 13 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 7 मिनट

Putrada Ekadashi पुत्रदा एकादशी का महत्व:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि इस व्रत को कोई जातक विधि विधान से करता है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से भक्त को सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। साथ ही, वह अंत में बैकुंठ धाम जाता है और सभी पापों से मुक्ति पाता है। इसके अलावा, इस व्रत को करने वालों के संतान का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है और दांपत्य जीवन में भी खुशहाल बनी रहती है। इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस व्रत को करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति भी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत पूजा सामग्री 

  1. श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
  2. पुष्प
  3. नारियल 
  4. सुपारी
  5. फल
  6. लौंग
  7. धूप
  8. दीप
  9. घी 
  10. पंचामृत 
  11. अक्षत
  12. तुलसी दल
  13. चंदन 
  14. मिष्ठान

Putrada Ekadashi पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि:

मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। फिर शंख में जल लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं। चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें और प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।

इस दिन संभव हो तो पीले वस्त्र पहनकर ही पूजा करें और भगवान विष्णु को भी पीले वस्त्र अर्पित करें।

इसके अलावा, श्री हरि विष्णु को मौसमी फलों के साथ आंवला, लौंग, नींबू, सुपारी अर्पित करें। इसके बाद गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। ध्यान रहे कि भोग में तुलसी जरूर रखें क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है।

इसके बाद आरती करें और पुत्रदा एकादशी की कथा जरूर पढ़ें क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।

इस दिन शुक्ल योग बन रहा है। ऐसे में, मंदिर जाकर भी श्रीहरि और हर की आराधना करें और साथ ही एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें व श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगे।

अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही व्रत पारण करें।

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

पुत्रदा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा रहता था, जिसकी पत्नी का नाम शैव्या था। राजा-रानी की कोई संतान नहीं थी, जिसको लेकर वह सदैव चिंतित रहते थे। उन्हें हमेशा इस बात की चिंता सताती थी कि उसके बाद उनका राजपाट कौन संभालेगा और मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म कौन करेगा और कौन उन्हें मुक्ति दिलाएगा और कौन उसके पितरों को तृप्त करेगा? बस यही सब सोच कर राजा की बीमारी होने लगे।

एक बार राजा जंगल भ्रमण करने निकला और वहां जाकर प्रकृति की सुंदरता को देखने लगा, वहां उसने देखा कि कैसे हिरण, मोर व अन्य पशु पक्षी भी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ जिंदगी का आनंद ले रहे हैं। यह देखकर वह और अत्यधिक विचलित होने लगा। वह सोचने लगा कि इतने पुण्यकर्मों के बाद भी मैं निःसंतान हूं। तभी राजा को प्यास लगी और वह जल की तलाश में इधर उधर भटकने लगा, भटकते-भटकते उसकी नज़र एक नदी के किनारे बने ऋषि-मुनियों के आश्रम पर पड़ी। श्रद्धावान होने के कारण राजा ने वहां जाकर सभी ऋषियों को दंडवत प्रणाम किया। राजा का सरल स्वभाव देख सभी ऋषि उससे अत्यधिक प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। जिसपर राजा ने उत्तर दिया, “हे देव! भगवान और आप संत महात्माओं की कृपा से मेरे पास सब कुछ है, केवल कोई संतान नहीं है, जिसके कारण मेरा जीवन व्यर्थ है।”

यह सुन ऋषि बोले, “राजन! भगवान ने ही आज तुन पर विशेष कृपा करके तुम्हें यहां भेजा है। आज पुत्रदा एकादशी है और आप पूरी निष्ठा से इस एकादशी का व्रत करें। ऐसा करने से आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। ऋषि की यह बात सुनकर राजा ने उस व्रत का पालन किया और नियम के अनुसार द्वादशी के दिन व्रत पारण किया। इसके कुछ दिनों बात रानी गर्भवती हुईं और उन्हें एक तेजस्वी और यशस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई और अंत में राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस प्रकार से इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया।

पुत्रदा एकादशी के दिन अचूक और कारगर उपाय 

Putrada Ekadashi भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए

पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में दूध डालकर अभिषेक करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों की माला पहनानी चाहिए और चंदन का तिलक श्रीहरि के मस्तक में लगाना विशेष फलदायी रहता है। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु को जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है और उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

Putrada Ekadashi संतान सुख प्राप्ति के लिए

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि पौष पुत्रदा एकादशी के दिन मंदिर में गेहूं अथवा चावल का दान करना  चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है और संतान को दीर्घायु प्राप्त होती।

Putrada Ekadashi बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए

एकादशी तिथि के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसे में, इस विशेष दिन पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए ऐसा करने से भक्त बड़ी से बड़ी बीमारियों से छुटकारा पा लेता है और स्वस्थ रहता है।

Putrada Ekadashi आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस एकादशी व्रत के दिन तुलसी का पौधा घर पर लगाए और रोज शुद्ध घी का दीपक जलाएं व उसकी सेवा करें।

Putrada Ekadashi संतान खुशहाली के लिए

संतान की खुशहाली व लंबी आयु के लिए पुत्रदा एकादशी के व्रत के दिन ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

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