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Pradosh Vrat Today on Wednesday, will be observed in Vajra Yoga and Purvashadha Nakshatra |
Pradosh Vrat: आज बुधवार को फरवरी का पहला प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. प्रदोष व्रत के शुभ मूहुर्त और पूजा विधि के बारे में.
Pradosh Vrat: वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में आज रखा जाएगा बुध प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
Pradosh Vrat: आज फरवरी का पहला प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. यह व्रत बुधवार को होने के कारण बुध प्रदोष व्रत है. जैसे बुधवार के दिन का प्रदोष बुध प्रदोष, शुक्रवार दिन का प्रदोष शुक्र प्रदोष, शनिवार के दिन का प्रदोष शनि प्रदोष कहा जाता है. हालांकि दिन के अनुसार, प्रदोष व्रत के लाभ भी अलग-अलग होते हैं. आज बुध प्रदोष व्रत दोपहर 02:02 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 8 फरवरी गुरुवार को दिन में 11:17 मिनट पर होगा. आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत के शुभ मूहुर्त और पूजा विधि के बारे में.
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 7 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर होगी. वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर होगी. आज शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 41 मिनट के बीच में होगा. शिव जी का पूजा के लिए आपको ढाई घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा.
वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र
आज प्रदोष व्रत वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में रखा जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन वज्र योग पूरे दिन रहेगा. 08 फरवरी, तड़के 02:53 से सिद्धि योग लगेगा वहीं पूर्वाषाढा नक्षत्र 8 फरवरी को सुबह 04:37 तक है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करके गंगा जल का छिड़काव करें. शिव जी की आराधना करके व्रत का संकल्प लें. पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ को आक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, रोली, अक्षत, फल, मिठाई और पंचामृत आदि जरूर चढ़ाना चाहिए. शिव जी के आगे घी का दीपक जलाएं.
प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की बहुत सराहना की गई है. प्रदोष व्रत के महत्व का उल्लेख स्कंद पुराण में स्पष्ट रूप से किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पूजनीय व्रत को करता है , जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को करता है उसे संतोष, धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उत्थान और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. प्रदोष व्रत का उपवास रखने से देवों के देव महादेव अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं और अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं. यह प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत वाले दिन शाम के समय यानी प्रदोष काल में शिव जी की पूजा की जाती है. इस दौरान की गयी सभी प्रकार प्रार्थनाएं और पूजा सफल मानी जाती हैं. सनातन धर्म में प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है. इस दिन उपवास रखने के साथ यदि विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जीवन में सभी परेशानियों दूर होती है और वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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