G-B7QRPMNW6J जन्म कुंडली के अनुसार नोकरी व व्यवसाय और ग्रह का ज्ञान होना ?
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जन्म कुंडली के अनुसार नोकरी व व्यवसाय और ग्रह का ज्ञान होना ?

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जन्म कुंडली के अनुसार नोकरी व व्यवसाय और ग्रह

व्यवसाय या नोकरी और कुंडली मित्रों हमारे मन में ये प्रश्न अक्सर आता है की किसी कुंडली के आधार पर कैसे निर्णय करें कि जातक नौकरी करेगा या अपना व्यवसाय करेगा? यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि जातक का कार्यक्षेत्र क्या होगा? जातक विदेश में सफलता प्राप्त करेगा या स्वदेश में।

मनुष्य जीवन कर्म पर आधारित है जीवनयापन के लिए हमें अनेक वस्तुओं तथा संसाधनों की आवश्यकता होती जिनकी प्राप्ति हमें धन के आधार पर होती है परंतु यह धन भी निरंतर रूप से किये गये किसी कर्म के द्वारा ही प्राप्त होता है यह कार्य ही हमारी आजीविका कहलाती है तथा आजीविका से ही समाज में हमारी पहचान बन पाती है। 
प्रत्येक व्यक्ति की आजीविका अलग-अलग स्तर तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में होती है इसके अतिरिक्त कुछ व्यक्ति सेवा नौकरी से आजीविका चलाते हैं तथा कुछ स्वतंत्र व्यवसाय करके तथा कई बार व्यक्ति मनचाहे क्षेत्र में पूर्ण परिश्रम करने पर सफल नहीं होता तथा जैसे ही वह आजीविका क्षेत्र बदलता है तो उसे सहज ही सफल मिल जाती है। वास्तव में हमारे जन्म के साथ ही ग्रह स्थिति से यह सब निश्चितहो

जाता है कि हम किस क्षेत्र में जायेंगे या क्या कार्य हमारे लिए उपयुक्त है तथा इसमें भी नौकरी या स्वयं का व्यवसाय तो ज्योतिष शास्त्र की यही उपयोगिता है कि आप अपने लिए उपयुक्त क्षेत्र चयन करें और सहज ही सफलता मिले।

नौकरी या व्यवसाय: ज्योतिषीय दृष्टि कोण में जन्मकुंडली का दशम भाव, दशमेश, शनि तथा इन पर प्रभाव डालने वाले ग्रहों से हमारी आजीविका व उसका स्वरूप स्पष्ट होता है

दशम भाव तो पूर्णतया आजीविका का कारक है ही तथा मुख्य निर्णायक घटक भी है परंतु जब आजीविका को भी नौकरी और व्यवसाय दो भागों में बांटा जाय तो इसमें नौकरी के लिए दशम के अतिरिक्त षष्ट भाव तथा व्यवसाय के लिए दशम के अतिरिक्त सप्तम भाव की भी भूमिका होती है।

जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय: यह विषय दो दृष्टिकोण से देखा जा सकता है एक तो यह कि जातक किस प्रकार से आजीविका अपनायेगा या नौकरी और व्यवसाय में से किसमें उसकी रुचि होगी और दूसरी तरफ यह भी महत्वपूर्ण है कि वास्तव में जातक के लिए उपयुक्त क्या है नौकरी या व्यवसाय?

यदि जातक की कुंडली के दशम भाव में चर राशि (1, 4, 7, 10) स्थित है तो ऐसा जातक कर्म से स्वतंत्र सोच रखने वाला अधिक महत्वाकांक्षी व्यक्तिहोता है तथा ऐसा व्यक्ति स्वतंत्र व्यवसाय को अपनाता है। 

यदि कुंडली के दशम भाव में स्थिर राशि (2, 5, 8, 11) स्थित हो तो व्यक्ति एक स्थान पर जमकर कार्य करने में रुचि रखता है तथा नौकरी को अपनाता है।

यदि कुंडली के दशम भाव में द्विस्वभाव राशि में (3, 6, 9, 12) स्थित हो तो जातक समय के अनुकूल अपने आप को ढालने वाला होता है तथा अपने लाभ के अनुसार नौकरी और व्यवसाय दोनों को अपना सकता है। ह

उपरोक्त के अतिरिक्त इन्हीं राशियों में दशमेश की स्थिति मुख्य तो नहीं पर सहायक भूमिका अवश्य निभायेगी दशमेश चर राशि में होने पर व्यवसाय, स्थिर राशि में होने पर नौकरी तथा द्विस्वभाव राशि में होने पर दोनों कार्यों की क्षमता व्यक्ति में होगी।

उपरोक्त नियम नौकरी और व्यवसाय के चयन में अपनी भूमिका निभाते हैं परंतु आजीविका के स्वरूप के अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र हमें यह भी अधिक सटीकता से बताता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है।

यदि कुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश, एकादश भाव एकादशेश व बुध अच्छी स्थिति में हो तो ही व्यक्ति व्यवसाय में अच्छी सफलता पायेगा तथा यदि षष्ट भाव व षष्टेश अच्छी स्थिति में हो तो नौकरी में सफलता होगी 

षष्ट भाव में पाप योग हो या षष्टेश अत्यंत पीड़ित हो तो व्यक्ति को नौकरी में बहुत समस्याएं होती हैं। 

जातक का कार्यक्षेत्र: यह विषय सबसे महत्वपूर्ण है कि किस क्षेत्र में जातक को सफलता मिलेगी या जातक क्या करेगा वर्तमान समय में यह और भी महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के समय में यदि यह निर्णय हो जाये कि हमारे लिए कौनसा क्षेत्र अच्छा है तो विद्यार्थी वर्ग उसी दिशा में प्रयास कर सकते हैं। 

कार्यक्षेत्र के निर्धारण में दशम भाव की अहम भमिका है दशम भाव में स्थित राशि, दशम पर प्रभाव डालने वाले ग्रह दशमेश का नवांशपति आदि कार्यक्षेत्र के चयन में सहायक होते हैं। ‘‘कार्यक्षेत्र’’ के निर्धारण में दशम भाव में स्थिति राशियों की भूमिका भी होती है परंतु यह केवल एक सहायक भूमिका होतीहै मुख्य व सूक्ष्म रूप से तो ग्रहों की भूमिका ही होती है।

 
कार्यक्षेत्र निर्धारण: दशम भाव में स्थित ग्रह तथा दशम भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह से संबंधी जातक का कार्यक्षेत्र होता है। यदि यह ग्रह एक से अधिक हों तो जातक एक से अधिक व्यवसाय भी अपना सकता है तथा चयन करते समय जो ग्रह उनमें अधिक बली हो उससे संबंधित क्षेत्र में जाना चाहिए। 


कुछ विद्वान दशमेश के नवांशपति को अर्थात दशमेश नवांश कुंडली में जिस ग्रह की राशि में हो उस ग्रह से संबंधित कार्यक्षेत्र बताते हैं परंतु यह बात तभी माननी चाहिए जब दशमेश का नवांशपति ग्रह अच्छी स्थिति में हो। 

जो ग्रह जन्मकुंडली में सबसे अधिक बली हो उसके आधार पर भी जातक की आजीविका पूर्णतया संभव है और ऐसे ग्रह के आधार पर किये गये कार्य में निश्चित सफलता मिलती है। 

जन्मकुंडली में शनि से त्रिकोण भाव में स्थित ग्रह भी आजीविका देता है। उपरोक्त नियमों के आधार पर जब कुछ ग्रह निश्चित हो जायें तो यह तो निश्चित है कि जातक इनमंे संबंधित कार्यों में जा सकता है परंतु हमें कार्यक्षेत्र निर्धारण करने में निकले हुए ग्रहों के आधार पर भी इनमें जो सबसे अधिक बली ग्रह हो उसे आधार पर कार्यक्षेत्र का चयन करना चाहिए।

दशम भाव में स्थित राशि:-- 

यदि दशम भाव में अग्नितत्व राशि (1, 5, 9) हो तो यह योग जातक को ऊर्जा, अग्नि, पराक्रम आदि के क्षेत्रों में सहायक होता है जैसे- (विद्युत संबंधी, अग्नि प्रधान कार्य, सेना, प्रबंध, शल्यचिकित्सा आदि)  

यदि दशम भाव में भूमि तत्व राशि (2, 6, 10) हो तो यह योग भूमि या भूसंपदा से संबंधी कार्यों में सहायक होता है (भूमि विक्रय, प्रोपर्टी डीलिंग, भवन निर्माण, भूसंपदा आदि) 

यदि दशम भाव में वायु तत्व राशि हो (3, 7, 11) हो तो यह योग जातक को बुद्धिपरक कार्यों में सहायक होता है (कम्प्यूटर संबंधी, एकाउंट्स, लेखन, वैज्ञानिक, लेखा-जोखा रखना आदि)

यदि दशम भाव में जल तत्व राशि (4, 8, 12) हो तो यह योग जातकको जल या पेय पदार्थ संबंधी कार्यों में सहायक होगा (जल, पेय, पदार्थ, नेवी, सिंचाई आदि) नियमों के अनुसार जब कार्यक्षेत्र निर्धारण के लिए ग्रह निश्चित कर लें तो उन पर आधारित निम्न व्यवसाय होंगे।

सूर्य- चिकित्सक (फिजिशियन), दवाइयों से संबंधी, मैनेजमेंट राजनीति, गेहूं से संबंधी आदि। 

चंद्रमा- जल से संबंधित कार्य, पेय पदार्थ, दूध, डेयरी प्रोडक्ट (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ, यात्रा   से संबंधित कार्य, आईसक्रीम, ऐनीमेशन।

मंगल- जमीन जायदाद विक्रय, विद्युत संबंधी, तांबे से संबंधित, सिविल इंजीनियरिंग, इलैक्ट्रीकल इंजीनियरिंग, आर्कीटैक्चर, शल्यचिकित्सक मैनेजमेंट आदिस्पोर्टस, खिलाड़ी। 

बुध-      वाणिज्य संबंधी, एकाउटेंट, कम्प्यूटर जाॅब, लेखन, ज्योतिष वाणीप्रधान कार्य, एंेकरिंग, कन्सलटैंसी, वकील, टेलीफोन विभाग डाक, कोरियर, यातायात, पत्रकारिता, मीडिया, बीमा कंपनी आदि। कथा वाचक।

 बृहस्पति- धार्मिक व्यवसाय, कर्मकाण्ड, ज्योतिष, अध्यापन, किताबों से संबंधित कार्य, संपादन, छपाई, कागज से संबंधित कार्य, वस्त्रोंसे संबंधित, लकड़ी से संबंधित कार्य, न्यायालय संबंधित, परामर्श। 

शुक्र-           कलात्मक कार्य, संगीत (गायन, वादन, नृत्य), अभिनय, चलचित्र संबंधी डेकोरेशन, फैशन डिजाइनिंग, पेंटिंग, स्त्रियों से संबंधित वस्तुएं, काॅस्मैटिक स्त्रियों के कपड़े, विलासितापूर्ण वस्तु (गाड़ी,वाहन आदि) सजावटी वस्तुएं मिठाई संबंधी, एनीमेशन। 

शनि-          मशीनों से संबंधित, पुर्जों से संबंधित, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, केमिकल प्रोडक्ट, ज्वलनशील तेल (पैट्रोल, डीजल आदि) लोहे से संबंधित कच्ची धातु, कोयला, प्राचीन वस्तुएं, पुरातत्व विभाग, अधिक श्रम वाला कार्य।

राहू-            आकस्मिक लाभ वाले कार्य, मशीनों से संबंधित, तामसिक पदार्थ, जासूसी गुप्त कार्य आदि विषय संबंधी, कीट नाशक, एण्टी बायोटिक दवाईयां। 

केतु-           समाज सेवा से जुड़े कार्य, धर्म, आध्यात्मिक कार्य आदि।

उपरोक्त के आधार पर जो ग्रह आजीविका को अधिक प्रभावित करे उससे संबंधित किसी क्षेत्र में जायें। विदेश में सफलता या स्वदेश में: इस विषय को देखने के लिए द्वादश भाव को विदेश या विदेश यात्रा कारक माना जाता है परंतु इसके अतिरिक्त विदेश जाने या सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक चंद्रमा होता है अतः यह स्मरण रखना चाहिए यदि चंद्रमाकुंडली में बहुत कमजोर हो या पीड़ित हो तो विदेश जाना या वहां सफलता पाना बहुत कठिन होगा परंतु चंद्रमा शुभ होने पर वहां सफलता होगी। 


चंद्रमा दशम भाव में हो या उसे देखे तो विदेश में सफलता संभव है। 
चंद्रमा यदि शनि के साथ हो या शनि को देखे तोे विदेश के योग बनेंगे। 

चंद्रमा यदि बारहवें भाव में स्थित हो या षष्ठ में होकर बारहवें भाव कोे देखें तो भी विदेश के योग होंगे।

लग्न या सप्तम भाव में बली हो तो भी विदेश में सफलता संभव है।

यदि दशमेश द्वादशेश का राशि परिवर्तन हो तो भी विदेश में सफलता संभव है या द्वादशेश का दशम भाव से कोई संबंध बनें तब भी।

यदि कुंडली में चंद्रमा अत्यंत पीड़ित हो तो विदेश जाने पर भी सफलता कठिन होती है अतः स्वस्थान पर ही सफलता होगी। जातक के सरकारी नौकरी के योग: जब बलवान (उच्च, स्वगृही, लग्नेश व दशमेश) युति करके किसी भाव में स्थित हो तथा दशम भाव के कारक ग्रह सूर्य, बुध, गुरु एवं शनि की नैसर्गिक (प्राकृतिक) अवस्था का समय चल रहा हो तथा यह कारक ग्रह बली (स्वगृही) होकर किसी भाव मेंस्थित हो तो जातक सरकारी नौकरी में होता है।

यदि साथ ही पाप ग्रहों- राहु, केतु, मंगल, सूर्य एवं शनि की महादशा का समय बन रहा है तो जातक तकनीकी क्षेत्र में होता है।

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                                            ----------------------अल्पविराम 

अक्षय शर्मा 

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