G-B7QRPMNW6J मेदिनी ज्योतिष
You may get the most recent information and updates about Numerology, Vastu Shastra, Astrology, and the Dharmik Puja on this website. **** ' सृजन और प्रलय ' दोनों ही शिक्षक की गोद में खेलते है' - चाणक्य - 9837376839

मेदिनी ज्योतिष

AboutAstrologer

 

चित्र:God the Geometer.jpg - विकिपीडिया

मेदिनी ज्योतिष या मुण्‍डेन ज्‍योतिष (अंग्रेज़ी: Mundane Astrology) ज्‍योतिष की एक शाखा है जिसमें देशों, राज्‍यों और शहरों इत्यादि स्थलों का भाग्य बताया जाता है। यह जातक ज्योतिष - जिसमें किसी व्यक्ति का भविष्य बताने का प्रयास किया जाता है - से अलग विधा है और इसमें लोगों के बड़े समुदायों, राष्ट्रों इत्यादि के ऊपर ग्रहीय गतियों और दशाओं के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।[1]

ज्योतिष विधा एक ऎसी विधा है जो अपने में सभी समस्याओं की उत्पत्ति एवं उनकी समाप्ति का हल भी देती है. समय-समय पर विश्व भर में किसी न किसी प्रकार की प्राकृत्तिक आपदाएं आती ही रहती हैं जिनके द्वारा जान-माल की हानि होती है. ऎसे में इन आपदाओं के बारे में अगर हम ज्योतिष द्वारा पूर्वानुमान लगा सकें तो काफी हद तक मदद मिल सकती है.


मुंडेन ज्योतिष इसी तथ्य को समझने की ओर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मुण्डेन जिसे हम मेदीनी ज्योतिष के नाम से भी जानते हैं इसके द्वारा हमें काफी हद तक प्राकृतिक आपदाओं एवं मौसम से संबंधित अनेकों बदलावों को पूर्व में ही जान सकते हैं. ज्योतिष में प्राकृतिक आपदाओं के विषय को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को बताया गया है. जिसमें ग्रहों की युति उनकी अंशात्मक स्थिति एवं ग्रहण इत्यादि का प्रभाव जैसे तथ्य सामने रखते हुए घटनाओं को समझने की कोशिश की जाती है.


यहां मैं सबसे पहले ऎसी ही कुछ तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रही हूं जिनके द्वारा प्राकृत्तिक आपदाओं के रहस्य को समझने में काफी मदद मिल सकती है. जो इस प्रकार हैं. प्राकृतिक आपदाओं में शनि, राहु-केतु, मंगल, गुरू जैसे ग्रहों की भूमिका बहुत मुख्य होती है



मंगल जब भी पृथ्वी के निकट आता है तब तापमान में बढ़ोत्तरी जैसी समस्या के चलते मौसम में बदलाव देखने को मिलते हैं. जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं.

सूर्य पर जब धब्बे दिखाई देते हैं तो उस समय पानी दूषित होकर कीचड़नुमा हो सकता है और रेतीले तूफानों का प्रकोप भी बढता देखा जा सकता है. यदि किसी वर्ष सूर्य और शनि विशेषतौर पर कर्क और मकर राशि में हों तो वह समय जल से संबंधित विकट समस्या उत्पन्न करता है.


बुध के राशि परिवर्तन समय के दौरान मौसम में बदलाव होना सामान्य बात है वहीं बुध के नक्षत्र आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों में अत्यधिक दुखद घटनाओं के होने की स्थिति भी देखी गई है.


मौसम की स्थिति निर्धारण में सूर्य और बृहस्पति की भूमिका निर्णायक रहती है. बृहस्पति का मकर राशि में प्रवेश वातावरण में अवरोध की स्थिति लाता है.


जब भी शनि ग्रह मंगल, राहु-केतु के नजदीक से गुजरता है तो उस समय भूकंप और प्राकृत्तिक आपदाओं की स्थिति देखी जा सकती है.


राहु जब भी शनि या मंगल से युति करता और 6,8,12 में संबंध बनाता है तो स्थिति अनियंत्रित होती देखी जा सकती है.


ग्रहण से 6 माह पहले और 6 माह बाद तक इसके बूरे प्रभाव देखने को मिलते हैं. ग्रहण का प्रभाव उन देशों पर ज्यादा देखा जाता है जहां यह दृष्ट होता है. यदि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण 14 दिनों के अंतरला में ही दृष्ट हो जाएं तो यह स्थिति बेहद चिंताजनक होती है.


रोहीणी नक्षत्र में शनि का गोचर रोहिणी शकट भेदन योग बनाता है जिसके कारण आकाल-भूखमरी जैसी प्राकृत्तिक आपदाओं का प्रभाव पड़ता है. और ये स्थिति प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, 1942-1943 के समय के दौरान बंगाल में अकाल का पडना के रूप में देखी जा सकती है. ऎसी ही अनेकों घटनाएं हम मेदिनी ज्योतिष के जरिये से समझ सकते हैं. मेदिनी ज्योतिष एक अत्यंत ही गणनात्मक प्रक्रिया है जिसमें छोटी से छोटी गणनाओं पर भी विशेष निगाह रखने की आवश्यकता होती है. इसी संदर्भ में हम जब सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश की बात होती है तो यह मेदिनी का ही एक विषय भी बनता है और मौसम-वातावरण के संदर्भ में विभिन्न बातें दर्शाता है.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...