G-B7QRPMNW6J शनि के वाहन का प्रभाव – Shani ke vahan ka prabhav
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शनि के वाहन का प्रभाव – Shani ke vahan ka prabhav

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शनि के वाहन का प्रभाव – Shani ke vahan ka prabhav

बहुत कम लोगों को पता होगा कि शनिदेव की सवारी कौवा या गिद्ध ही नहीं बल्कि पुरे 9 सवारी शनिदेव की है। जैसे- गिद्ध, घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, मोर और हिरण हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिसके पास भी जाते हैं वह व्यक्ति उसी के हिसाब से फल का उत्तरदायी होता है। हालांकि कौवा को उनकी मुख्य सवारी माना जाता है।
कौआ एक बुद्धिमान प्राणी है। कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। पुराणों की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है।
जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।
कौए की योग्यता : कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं। कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है। कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।
पितरों का आश्रय स्थल : श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।
कौए को भोजन कराने का लाभ : भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।
विष्णु पुराण में श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से यथाशक्ति भोजन कराने की बात कही गई है। कौए को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं। कौए को भाजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
शनि के वाहन निर्धारण का तरीका –
व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए. शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है । शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन मे है. इस विधि मे निम्न विधि अपनाते हैं:
शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि संख्या+ ऩक्षत्र संख्या +वार संख्या +नाम का प्रथम अक्षर संख्या, सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग किया जाता है. शेष संख्या शनि का वाहन बताती है.
दोनो विधियो मे शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए।
शनि का वाहन गधा – अगर शेष संख्या 1 होने पर शनि गधे पर सवार होते है । इस स्थिति मे मेहनत के अनुसार फल मिलते है। व्यक्ति के लिए शनि का वाहन गधा होने पर शनि की साढेसाती मे मिलने वाले शुभ फलो मे कमी होती है. शनि के इस वाहन को शुभ नही कहा गया है ।। शनि की साढेसाती की अवधि मे व्यक्ति को कार्यो मे सफलता प्राप्त करने के लिए काफी प्रयास करना होता है । व्यक्ति को मेहनत के अनुरुप ही फल मिलते है इसलिए व्यक्ति का अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता है।
शनि का वाहन घोडा – शेष सँख्या 2 होने पर शनि घोडे पर सवार होते है. और व्यक्ति को शत्रुओ पर विजय दिलाते है। शनि का वाहन घोडा होने पर व्यक्ति को शनि की साढेसाती मे शुभ फल मिलते है। इस दौरान व्यक्ति समझदारी व अक्लमंदी से काम लेते हुए अपने शत्रुओ पर विजय हासिल करता है व व्यक्ति अपने बुद्धिबल से अपने विरोधियों को परास्त करने मे सफल रहता है ।। घोडे को शक्ति का प्रतिक माना गया है इसलिए इस अवधि मे व्यक्ति के उर्जा व जोश मे बढोतरी होती है ।
शनि का वाहन हाथी – शेष सँख्या 3 होने पर शनि को हाथी पर सवार कहा गया है ।। इस अवधि मे आशा के विपरित फल मिलते है । जिस व्यक्ति के लिए शनि का वाहन हाथी होता है. उस व्यक्ति के लिए शनि के वाहन को शुभ नही
कहा गया है । इस दौरान व्यक्ति को अपनी उम्मीद से हटकर फल मिलते है। इस स्थिति मे व्यक्ति को साहस व हिम्मत से काम लेना चाहिए तथा विपरित परिस्थितियों मे भी घबराना नहीं चाहिए ।
शनि का वाहन भैंसा – शेष सँख्या 4 होने पर शनि को भैसे पर सवार बताया गया है । ऎसा होने पर व्यक्ति को मिले जुले फल मिलते है। शनि का वाहन भैंसा आने पर व्यक्ति को मिले-जुले फल मिलते है. शनि की साढेसाती की अवधि मे व्यक्ति को संयम व होशियारी से काम करना चाहिए. इस समय मे बातो को लेकर अधिर व व्याकुल होना व्यक्ति के हित मे नही होता है। व्यक्ति को इस समय मे सावधानी से काम करना चाहिए। अन्यथा कटु फलो मे वृ्द्धि होने की संभावना होती है ।
शनि का वाहन सिंह – शेष सँख्या 5 होने पर शनि सिंह पर सवार होते है. व्यक्ति अपने शत्रुओ को हराता है। शनि का वाहन सिँह व्यक्ति को शुभ फल देता है, सिँह वाहन होने पर व्यक्ति को समझदारी व चतुराई से काम लेना चाहिए। ऎसा करने से व्यक्ति अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करने मे सफल होता है। अतः इस अवधि मे व्यक्ति को अपने विरोधियोँ से घबराने की जरुरत नही होती है ।।
शनि का वाहन सियार – शेष सँख्या 6 होने पर शनि सियार पर सवार माने गये है। इस दौरान शनि अप्रिय समाचार देते है। शनि की साढेसाती के आरम्भ होने पर शनि का वाहन सियार होने पर व्यक्ति को मिलने वाले फल शुभ नही होते है। इस स्थिति मे व्यक्ति को साहस व हिम्मत से काम लेना चाहिए क्योकि इस दौरान व्यक्ति को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बनती है ।
शनि का वाहन कौआ – शेष सँख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ कहा गया है।। साढेसाती की अवधि मे कलह बढती है। व्यक्ति के लिए शनि का वाहन कौआ होने पर उसे शान्ति व सँयम से काम लेना चाहिए। परिवार मे किसी मुद्दे को लेकर विवाद व कलह की स्थिति को टालने का प्रयास करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा बातचित कर बात को बढने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए ।। इससे कष्टो मे कमी होती है।
शनि का वाहन मोर – शेष सँख्या 8 होने पर शनि को मोर पर सवार बताया गया है ।।व्यक्ति को शुभ फल मिलते है। शनि का वाहन मोर व्यक्ति को शुभ फल देता है- इस समय मे व्यक्ति को अपनी मेहनत के साथ साथ भाग्य का साथ भी मिलता है।। शनि की साढेसाती की अवधि मे व्यक्ति अपनी होशियारी व समझदारी से परेशानियों को कम करने मे सफल होता है। इस दौरान व्यक्ति मेहनत से अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुधार पाता है।।
शनि का वाहन हँस – शेष सँख्या 9 होने पर शनि का वाहन हँस कहा गया है व शनि व्यक्ति को सुख देते है। जिस व्यक्ति के लिए शनि का वाहन हँस होता है, उनके लिए शनि की साढेसाती की अवधि बहुत शुभ होती है । इस मे व्यक्ति बुद्धिमानी व मेहनत से काम करके भाग्य का सहयोग पाने मे सफल होता है । यह वाहन व्यक्ति के आर्थिक लाभ व सुखो को बढाता है । शनि के सभी वाहनो मे इस वाहन को सबसे अधिक अच्छा कहा गया है ।।
विशेष शेष संख्या 0 आने पर सँख्या 9 समझनी चाहिए और शनि का वाहन हँस समझना चाहिए।।

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