माथे पर तिलक लगाने के बाद चावल क्यों लगाते हैं?
माथे पर तिलक लगाने के बाद चावल क्यों लगाते हैं?https://jyotishwithakshayji.blogspot.com/2022/02/blog-post_14.html |
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और इसका मतलब ही है कि कभी नाश नहीं होने वाला, इसलिए किसी भी कार्य की सफलता के लिए चावल का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए तिलक के बाद चावल का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही हिंदू धर्म में चावल को सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल होता है.
आपने हमेशा देखा होगा कि किसी भी पूजा में या कहीं जाने से पहले माथे पर तिलक लगाया जाता है. वैसे तो माथे पर चंदन, केसर आदि का तिलक भी लगाया गया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा कुमकुम यानी रोली का तिलक किया जाता है. भले ही पूजा में कुमकुम का तिलक लगाया जा रहा हो या फिर किसी और मौके पर तिलक लगाया जा रहा हो, इन सभी में एक बात कॉमन होती है कि तिलक करने के बाद उसके ऊपर कुछ दाने चावल के भी लगाए जाते हैं.
इसके बाद कई पंडित तो चावल आपके सिर या आस-पास फेंकते भी हैं. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है और क्यों तिलक के बाद चावल भी लगाए जाते हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है और ऐसा करने के पीछे लोगों की ओर से क्या तर्क दिए जाते हैं
क्या है इसके पीछे का धार्मिक कारण
वैसे तो यह श्रद्धा का मामला है और यह लंबे समय से परंपरा चली आ रही है, जिसकी वजह से तिलक के साथ चावल का इस्तेमाल भी किया जाता है. हालांकि, कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तिलक के साथ चावल लगाने का कारण ये है कि चावल को सबसे शुद्ध अन्न माना जाता है. आपने देखा होगा कि कोई छोटी से छोटी पूजा से लेकर बड़े अनुष्ठान तक चावल का खास महत्व रहता है. यहां तक कि भगवान को लगने वाले भोग में चावल का इस्तेमाल किया जाता है और आप देखेंगे कि हर खास मौके पर चावल की खास अहमियत होती है.
साथ ही चावल को हवन में देवी देवताओं को चढ़ाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है. चावल को अक्षत भी कहा जाता है और इसका मतलब ही है कि कभी नाश नहीं होने वाला, इसलिए किसी भी कार्य की सफलता के लिए चावल का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए तिलक के बाद चावल का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही हिंदू धर्म में चावल को सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल होता है.
कई और भी है कारण
वहीं, कई लोगों को मानना है कि माथे पर लगे तिलक पर चावल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और इसके लिए चावल का इस्तेमाल होता है. इसी वजह से अब चावल लगाया जाता है तो उसके बाद उनके सिर पर और आसपास भी चावल को फेंका जाता है. इसका वैज्ञानिक कारण भी जोड़कर देखा जाता है और चावल को सकारात्मकता का प्रतीक मानकर भी इस्तेमाल में लिया जाता है.
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अक्सर आपने शादी या किसी त्योहार पर देखा होगा कि लोग तिलक में चावल का प्रयोग करते हैं। पूजन के समय माथे पर कुमकुम के तिलक लगाते समय चावल के दाने भी ललाट पर लगाए जाते हैं। पर क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तिलक लगाने से दिमाग में शाति एंव शीतलता बनी रहती है। यहां चावल लगाने का कारण यह है कि चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि कच्चा चावल सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। पूजा में भी कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल के दाने इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि हमारे आसपास जो भी नकारात्मक ऊर्जा उपस्थित हो, वह सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए।
हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाने का विशेष महत्व है, पूजा-पाठ, त्योहार यहां तक की शादी और जन्मदिवस जैसे आयोजन में भी तिलक लगाया जाता है। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, विल्वपत्र, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है। वैसे आपने देखा होगा कि कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है पर क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानि हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। इससे हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी चावल शुक्र और चंद्रमा का प्रतिक है जो की निरंतर उनती और प्रगति प्रदान करते है और सिर सूर्य ग्रह का प्रतिक है ये तीनो मिलकर अधिक उन्नति भी देते है |
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