G-B7QRPMNW6J ज्योतिष द्वारा कुंडली के रोचक तथ्य
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ज्योतिष द्वारा कुंडली के रोचक तथ्य

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 ज्योतिष द्वारा कुंडली के रोचक तथ्य 

ज्योतिष द्वारा कुंडली के रोचक तथ्य
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जब गोचर में शनि ग्रह धनु,  मकर,  मीन व कन्या राशियों में गुजरता है तो भयंकर अकाल रक्त सम्बन्धी विचित्र रोग होते हैं।

किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष सोमवार, बुध या गुरूवार को शपथ ले तो उसे प्रजा एवं राष्ट्राध्यक्ष के लिए शुभ माना जाता है।

जन्म कुंडली में मंगल को भूमि का मुख्य कारक माना गया है. जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव या चतुर्थेश से मंगल का संबंध बनने पर व्यक्ति अपना घर अवश्य बनाता है. जन्म कुंडली में जब एकादश का संबंध चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति एक से अधिक मकान बनाता है लेकिन यह संबंध शुभ व बली होना चाहिए.

सूर्य चन्द्र मंगल और लगन से गर्भाधान का विचार किया जाता है वीर्य की अधिकता से पुरुष तथा रक्त की अधिकता से कन्या होती है। रक्त और रज का बरावर होने से नपुंसक का जन्म होता है।

जन्म से चार वर्ष के भीतर बालक की मृत्यु का कारण माता के कुकर्मों, चार से आठ वर्ष के बीच मृत्यु पिता के पाप कर्मों और आठ से बारह वर्ष की आयु के मध्य मृत्यु स्वयं के पूर्वजन्म के पापों के कारण मानी गई है.

किसी भी प्रकार का रिसाव राहु के अंतर्गत आता है. रिसाव किसी भी चीज का हो सकता है द्रव, शक्ति, धन, मान सम्मान या ओज का.।

बुध के निर्बल होने पर कुंडली में अच्छा शुक्र भी अपना प्रभाव खो देता है क्योंकि शुक्र को लक्ष्मी माना जाता है और विष्णु की निष्क्रियता से लक्ष्मी भी अपना फल देने में असमर्थ हो जाती हैं.

शनि वचनबद्धता, कार्यबद्धता और समयबद्धता का कारक ग्रह है. जिस भी व्यक्ति के जीवन में इन तीनो  चीजों का अभाव होगा तो समझना चाहिए की उसकी पत्रिका में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है।

हम जिस भाव का विचार कर रहे है उस भाव से 1, 3, 5, 7, 9, 11 भाव शुभ है 4, 8, 12 भाव बुरे है 2, 6, 10 वा भाव तट स्त है।

पिसा हुआ नमक: सूर्य

पिसी हुई लाल मिर्च: मंगल

हल्दी पिसी हुई: वृहस्पति

जीरा साबुत या पिसा हुआ : राहु-केतु

धनिया पिसा हुआ : बुध

काली मिर्च साबुत या पाउडर : शनि

अमचूर पिसा हुआ : केतु

गर्म मसाला पिसा हुआ : राहु

 मेथी : मंगल

राहू ससुराल है जेल में बंद निर्दोष कैदी भी राहू है |राहू सफाई है |रास्ते का पत्थर राहू है |हस्पताल का  पोस्ट मार्टम विभाग राहू है।

शुक्र जो होये कुंडली में सूर्य से आगे, जातक जाये समृद्धि में पिता से आगे।

शुक्र तथा शनि आमने-सामने हो दोनों में से कोई एक अथवा दोनों लग्न के या सप्तम के स्वामी हो या चंद्रेश हो तो व्यक्ति समलैंगिक होता है । अगर ये दोनों लग्न और सप्तम में आमने-सामने तो अवश्य ही ऐसा होता है ।

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