हिंदू नववर्ष
पर 1500 साल बाद बना अति दुर्लभ योग! जानें आपके जीवन पर असर, सुख-सम्पत्ति बढ़ाने वाले 3 राजयोग में शुरू होगी
नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि को ही हम हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाते हैं हर नवरात्रि में माता के आगमन व् गमन का अलग-अलग वाहन होता है जिसकी व्याख्या देवीपुराण के अनुसार नीचे दी गयी है| आगमन
शशि सूर्य गजरुढ़ा
शनिभौमे तुरंगमे |
गुरौशुक्रेच
दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता || (देवीपुराण)
रविवार और सोमवार
को भगवती हाथी पर आती हैं शनि और मंगलवार को घोड़े पर आती है और शुक्रवार को ढोला
पर बुधवार को नाव पर आती हैं
गजेश जलदा देवी
क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्य
सिद्धिस्यात दोलयों मरण ध्रुरवम||
अर्थात दुर्गा
हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है थोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है नाव
पर आने से सब कार्यों में सिद्धि मिलती है और यदि डोले पर आती हैं तो उस वर्ष में
अनेक कारणों से बहुत से लोगों की मृत्यु होती है
गमन
शशि सूर्य दिने
यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा ,
शनिभौम दिने यदि
सा विजया चरणायुध यानि करी विकला |
बुधशुक्र दिने
यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा ,
सुरराजगुरौ यदि
सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा ||
भगवती रविवार और
सोमवार को महिषा(भैंसा) की सवारी से जाती हैं जिस से देश में रोग और शोक की वृद्धि
होती है शनि और मंगल को पैदल जाती हैं जिससे विकलता की वृद्धि होती है बुध और
शुक्र दिन में भगवती हाथी पर जाती है जिससे वृष्टि वृद्धि होती है गुरुवार को
भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं जो सुख और सौख्य की वृद्धि करती है इस प्रकार
भगवती का आना जाना शुभ और अशुभ फल सूचक है इस फल का प्रभाव यजमान पर ही नहीं पूरे
राष्ट्र पर पड़ता है
नए संवत्सर का नाम होगा नल; इसके राजा रहेंगे शनि और गुरु मंत्री, शुभ रहेगा नव वर्ष शनि-मंगल और राहु-केतु का अति दुर्लभ संयोग; जो भाग्य, धन और लाभ देने वाला रहेगा
2 अप्रैल शनिवार से हिंदू पंचांग का नवसंवत् 2079 शुरू हो रहा है। इसका नाम नल है और राजा शनि देव रहेंगे। शनिवार को ही चैत्र नवरात्र शुरू हो जाएंगे, जो 10 अप्रैल, रविवार तक रहेंगे। इस बार रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत होना शुभ संकेत है। साथ ही नवरात्र में तिथि की घट-बढ़ नहीं होने से देवी पर्व पूरे 9 दिन का रहेगा। इस तरह अखंड नवरात्र सुख-समृद्धि देने वाली रहेगी।
1500 साल बाद अति दुर्लभ संयोग
इस साल नववर्ष की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे वहीं, शनि खुद की ही राशि मकर में होगा। नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से ये साल मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों के लिए बहुत शुभ रहेगा। वहीं, अन्य राशियों के लिए बड़े बदलाव का समय रहेगा। ग्रहों का ऐसा संयोग 1500 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 22 मार्च 459 को ये ग्रह स्थिति बनी थी।
इस बार हिंदु नववर्ष की शुरुआत के मौके पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति न केवल रोचक बल्कि अति दुर्लभ रहेगी. ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही हैं. नववर्ष की शुरुआत के मौके पर रेवती नक्षत्र और 3 राजयोग बन रहे हैं. इसके अलावा नए साल की शुरुआत के मौके पर मंगल अपनी उच्च राशि यानी मकर में, राहु-केतु भी अपनी उच्च राशि (वृषभ और वृश्चिक) में रहेंगे. वहीं शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे. इस कारण हिंदू नववर्ष की कुंडली में शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है. हिंदू नववर्ष के मौके पर ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब 1500 साल बाद बन रहा है. इससे पहले यह दुर्लभ योग 22 मार्च 459 को बना था.
यह नववर्ष रेवती नक्षत्र में शुरू होगा। इसके स्वामी बुध हैं। बुध के कारण कारोबार में फायदा होता है, इसलिए इस नक्षत्र में खरीद-बिक्री करना शुभ माना जाता है। व्यापार का कारक बुध भी इस नक्षत्र में रहेगा। इससे बड़े लेन-देन और निवेश के लिए पूरा साल शुभ रहेगा।
साल की शुरुआत मीन राशि में हो रही है। इसके स्वामी गुरु हैं। इसलिए ये समय सबके लिए शुभ रहेगा। मंगल के प्रभाव से प्रॉपर्टी के कारोबार में तेजी आने के योग हैं। वहीं, बृहस्पति के कारण खरीदारी से सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
साल की शुरुआत मीन राशि में हो रही है। इसके स्वामी गुरु हैं। इसलिए ये समय सबके लिए शुभ रहेगा। मंगल के प्रभाव से प्रॉपर्टी के कारोबार में तेजी आने के योग हैं। वहीं, बृहस्पति के कारण खरीदारी से सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
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