अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग, बन रहे हैं अक्षय तृतीया पर 3 राजयोग, अक्षय तृतीया का महत्व
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50 साल बाद अक्षय तृतीया पर बन रहा है ग्रहों का अद्भुत संयोग तीन राजयोग |
अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग, बन रहे हैं तीन राजयोग
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है. इसे आखा तीज भी कहते हैं. इस साल अक्षय तृतीया 03 मई दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, इस दिन आप कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे कर सकते हैं. इस साल अक्षय तृतीया मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में है, जो तैतिल करण और वृष राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है. इस अवसर पर मंगलवार दिन और रोहिणी नक्षत्र के कारण मंगल रोहिणी योग बन रहा है. इस दिन शोभन योग अक्षय तृतीया को शुभ बना रहा है, वहीं 50 साल बाद ग्रहों के विशेष योग से अद्भुत संयोग भी बन रहा है. 30 वर्ष बाद अक्षय तृतीया पर बनने वाला शुभ योग भी इस दिन का महत्व और भी बढ़ा रहा है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं अक्षय तृतीया पर बनने वाले राजयोग और इससे जुड़े महत्व के बारे में.
अक्षय तृतीया पर दान करने से सर्वाधिक पुण्य की प्राप्ति होगी
विद्वानों के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में विद्यमान रहेंगे, जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में विराजमान होंगे। गुरू मीन राशि में होने से हंस राजयोग, अपनी उच्च राशि में शुक्र के रहने से मालव्य राजयोग, शनि के अपने घर में रहने से शश नामक राजयोग के साथ सूर्यचंद्र अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेंगे। जिससे शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से सर्वाधिक पुण्य की प्राप्ति होगी। इस दिन जल से पूर्ण कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते है, जिसके लिए मुहुर्त देखने की आवश्यकता नहीं है।
संपत्ति में बढ़ोत्तरी
ज्योतिषाचार्य पंडित बालकृष्ण दुबे ने बताया कि चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में बहुत ही विशेष है। अक्षय तृतीया पर बन रहे इस शुभ संयोग में मंगल कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदायी होगा। पैराणिक मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मीनारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिए। माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान करने से सुख संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। आखातीज पर दो कलश का दान महत्वपूर्ण होता है। इसमें एक कलश पितरों का और दूसरा कलश भगवान विष्णु का माना गया है। पितरों वाले कलश को जल से भरकर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें। वहीं भगवान विष्णु वाले कलश में जल भरकर सफेद जौ, पीला फूल, चंदन और पंचामृत डालकर उस पर फल रखें। इससे पितृ और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्वि भी बनी रहती है।
अक्षय तृतीया पर 3 राजयोग
1. अक्षय तृतीया के दिन शुक्र के अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य राजयोग, गुरु के मीन राशि में होने से हंस राजयोग और शनि के अपने घर में विद्यमान होने से शश राजयोग बन रहा है, वहीं इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में स्थित रहेंगे. करीब 50 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित रहेंगे.
2. अक्षय तृतीया पर इन ग्रहों के योग से बने अद्भुत संयोग में दान करना बहुत ही पुण्यकारी होगा.
3. इस दिन चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अक्षय तृतीया को और भी विशेष बनाता है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होगा. इस दिन शुभ कार्य के लिए मुहुर्त देखने की जरूरत नहीं है.
अक्षय तृतीया का महत्व
1. अक्षय तृतीया के अवसर पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं और वहां पूजा अर्चना शुरु होती है.
2. अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन कर सकते हैं. सालभर में केवल यह एक अवसर होता है, जिस दिन आप ऐसा दर्शन कर सकते हैं.
3. अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है. भगवान विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम अवतार धारण किया था.
4. अक्षय तृतीया अत्यंत ही शुभ मानी जाती है, इसलिए इस दिन विवाह, सगाई करने के अलावा भवन, वाहन, वस्त्र, आभूषण आदि की खरीदारी भी करना शुभ होता है.
5. अक्षय तृतीया पर दान से सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है और पुण्य लाभ भी होता है.
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