Shadi ke baad बाद मांग भरना क्यों महत्वपूर्ण है जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
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शादी के बाद मांग भरना क्यों महत्वपूर्ण है जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण |
ऐसी मान्यता कि जब हनुमान जी ने सीता माता को सिंदूर लगाते देखा तो पूछा लिया कि माता आप सिंदूर क्यों लगा रही हैं। इसके उत्तर में देवी सीता ने कहा कि मांग में सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। यह सुन कर हनुमान जी ने सोचा की यदि मै पुरे शारीर पर सिंदूर लगा लूं तो मेरे प्रभु श्री राम की आयु में वृद्धि हो जायेगी |
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना आवश्यक माना जाता है। क्योंकि इसे पति की लंबी उम्र और सम्मान से जोड़ा जाता है। यह महिलाओं के लिए सुहाग का प्रतीक होता है, जिसके बिना शादीशुदा महिलाओं को अधूरा माना जाता है। मांग में सिंदूर लगाने के धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी हैं। तो आइए सिंदूर लगाने के वैज्ञानिक कारणों को जानते हैं।
मांग में सिंदूर लगाने का धार्मिक महत्व..
1. महिलाओं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सिंदूर लगाती हैं।
2. हिंदू समाज में सती या पार्वती को आदर्श पत्नी के रूप में माना जाता है और लाल रंग को इनका प्रतीक माना जाता है। इसलिए महिलाओं को लाल सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी जरूरी है मांग में सिंदूर लगाना..
1. माथे पर सिंदुर लगाने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
2. महिलायें जिस स्थान पर सिंदूर लगाती हैं वह स्थान ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि नामक कोमल स्थान के ठीक ऊपर होता है। महिला सिर के जिस स्थान पर सिंदूर लगाती हैं वह स्थान ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि नामक कोमल स्थान के ठीक ऊपर होता है।
माना जाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का यह स्थान अधिक कोमल और संवेदनशील होता है। सिंदूर में मौजूद तत्व इस स्थान से शरीर में मौजूद वुद्युत उर्जा को नियंत्रित करती है। इससे बाहरी दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है। सिंदूर में मौजूद तत्व इस स्थान से शरीर में मौजूद वैद्युतिक उर्जा को नियंत्रित करती है। इससे बाहरी दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल
सबसे खास बात तो यह है कि सिंदूर लगाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है इसके साथ ही सिंदूर लगाने का महिलाओं को जो सबसे बड़ा फायदा होता है वह यह है कि उनकी खूबसूरती में निखार आता है सिंदूर में मौजूद पारा धातु की अधिकता से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
वैद्युतिक उर्जा को करती नियंत्रित
महिलाएं ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि नामक कोमल स्थान के ठीक ऊपर सिंदूर लगाती है इस जगह पर सिंदूर लगाने से शरीर में मौजूद वैद्युतिक उर्जा को नियंत्रित करती है इसके अलावा बाहरी दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है।
मन शांत रखने का स्त्रोत
वैज्ञानिकों दृष्टि से सिंदूर लगाने से सेहत को कई फायदे होते हैं महिलाओं का मन शांत रखने का यह सबसे अच्छा स्त्रोत है जब महिलाएं सिंदूर लगाती है तो वह सिंदूर उसके मन को शांत रखने में मदद करता है।
दिमाग को ठंडा रखता है सिंदूर
सिंदूर लगाने से महिलाओं में तनाव दूर होता है दिमाग को ठंडा रखता है साथ ही सिर दर्द, अनिद्रा जैसी समस्या भी दूर होती है जिन महिलाओं को इस तरह की समस्या होती है उन्हें सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है सिंदूर में मौजूद मिश्रित पारा मस्तिष्क के लिए बेहद लाभदायक होता हैं।
महिलाएं माँग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?
सिंदूर हमेशा मस्तिष्क के मध्य भाग में लगाया जाता है। हमारे शरीर जो कि ऊर्जा का हीं एक रूप है, उसमें सात चक्र होते हैं। इन सात चक्रों में से दो चक्रों आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र का मस्तिष्क के मध्य भाग पर मिलन होता है। इन दोनों चक्रों के बीच के भाग पर एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है जिसे ‘ब्रह्मरंध्र’ कहा जाता है। इसी ब्रह्मरंध्र पर महिलाएं सिंदूर लगाती हैं।
काफी शोध के बाद वैज्ञानिकों ने भी ये माना है कि जब लड़कियां शादी कर के अपनी ससुराल जाती हैं तो वहां उन पर अचानक हीं बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां और दायित्व आ जाते हैं जिनका सीधा प्रभाव उनके मस्तिष्क पर पड़ता है। जिसकी वजह से उन्हे विवाह के बाद सिर दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है।
दरअसल सिंदूर में पारा नामक धातु की अधिकता होती है। यह धातु ब्रह्मरंध्र ग्रंथि के लिए बहुत हीं प्रभावशाली मानी जाती है। यह धातु महिलाओं के मस्तिष्क के तनाव और चिंता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि सिंदूर के लगातार प्रयोग के कारण महिलाओं का मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रहता है।
सिंदूर लगाने से महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरूषों के तेज में भी वृद्धि होती है। इसका उदाहरण देखना हो तो आप किसी तिलक लगाए हुए पुरूष और एक बिना तिलक लगाए हुए पुरूष को देखिए। आपको स्पष्ट रूप से फर्क दिखेगा।
आपको जानकर हैरानी होगी कि स्त्रियों के सिंदूर लगाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण हैं। सनातन धर्म में मौजूद लगभग सभी परंपराओं के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण जरूर है। । इस परंपरा के तहत स्त्रियों के मांग में पुरूषों के ललाट पर तिलक या टीका लगाना अनिवार्य कर दिया।
हमारे पूर्वजों और ॠषि-मुनियों ने काफी रिसर्च के बाद सिंदूर लगाने की परंपरा शुरू की
असल में सिंदूर एक खास पौधे कमीला के बीज से तैयार किया जाता है, जिसका धार्मिक ग्रंथों में जिक्र किया गया है और उससे बने सिंदूर को लेकर उपाय किए जाते हैं और उसको लगाने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, जिसे ऑर्गेनिक सिंदूर कहते हैं। मान्यता है कि वन प्रवास के दौरान माता सीता इसी बीज के पराग को अपनी मांग में लगाती थीं। ..
जौनपुर : हिमालयन बेल्ट में मिलने वाला दुर्लभ कमीला जतन से अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है। सरोखनपुर में उगा कमीला फलों से लद गया है। सुहागिनों का सौभाग्य बढ़ाने वाला सिंदूर इसकी फली से निकलता है। मान्यता है कि वन प्रवास के दौरान माता सीता इसी फल के पराग को अपनी मांग में लगाती थीं। महाबली हनुमान इसी का लेप तन पर लगाया करते थे। औषधीय गुणों से भरपूर कमीला को दर्जनों रोगों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है।
सरोखनपुर निवासी वैद्य हनुमानदीन गुप्त ने वर्ष 2002 में यह पौधा अपने यहां लगाया। उन्होंने बताया कि माता वैष्णो देवी दर्शन के बाद लौटते समय एक महात्मा ने यह पौधा प्रसाद के रूप में प्रदान किया था। लगाने के तीन-चार साल बाद इसमें फल आने लगा।
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होता है रोगों का उपचार
कमीला औषधीय गुणों से भरपूर है। इससे अनेक रोगों का उपचार होता है। शरीर की चेष्टावह नाड़ियों, अवसादक अन्नदह प्रणाली पर इसकी प्रक्षेलक क्रिया होती है। त्वचा रोग के उपचार में इसका प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाता है। आध्यात्मिक विचारधारा रखने वालों के मतानुसार इससे प्राप्त चंदन का प्रयोग आयुर्बल वर्धक एवं मानसिक शांति प्रदान करता है। जो कृत्रिम सिंदूर, रोरी, कुमकुम से उत्तम होता है। यह पहाड़ी क्षेत्रों में भारत, चीन, वर्मा, सिंगापुर, मलाया, लंका, अफ्रीका आदि में ज्यादा पाया जाता है।
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