वर्षों बाद बन रहा हैं दशहरा पर्व पर ये अत्यंत दुर्लभ योग:-
दशहरा पर्व पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा-पाठ, वर्षों बाद बन रहा हैं ये अत्यंत दुर्लभ योग…
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दशहरा पर्व 24 अक्टूबर 2023, मंगलवार के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें की गई पूजा-पाठ का विशेष महत्व है.
दशहरा पर्व पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा-पाठ, वर्षों बाद बन रहा हैं ये अत्यंत दुर्लभ योग…
सनातन धर्म में दशहरा पर्व का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही भगवान श्री राम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की पुनर्स्थापना की थी. साथ ही इसी दिन मां भगवती ने महिषासुर दैत्य का मर्दन कर संसार को उसके प्रकोप से मुक्त किया था. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दशहरा पर्व 24 अक्टूबर 2023, मंगलवार के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें की गई पूजा-पाठ का विशेष महत्व है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर शाम 5ः54 से शुरू होगी और 24 अक्टूबर दोपहर 3ः14 पर समाप्त हो जाएगी। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 01ः48 से दोपहर 02ः43 तक रहेगा, साथ ही पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 01ः13 से दोपहर 03ः18 तक है.
पंचांग में बताया गया है कि इस विशेष दिन पर रवि योग और वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है. बता दें कि इस दिन रवि योग सुबह 06ः27 से दोपहर 03ः28 तक रहेगा। साथ ही वृद्धि योग दोपहर 03ः40 से शुरू हो जाएगा। बता दें की पूजा-पाठ के लिए इन दोनों समय कल को अत्यंत शुभ माना गया है.
विजयदशमी पर्व के दिन देवी अपराजिता की पूजा का विधान है. मान्यता है कि भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले देवी अपराजिता की उपासना की थी. इसलिए मान्यता है कि दशहरा पर्व के दिन माता अपराजिता की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने में सहायता मिलती है.
हिंदू धर्म में विजयदशमी पर्व कें दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान श्री राम ने अधर्म को पराजित कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी ठीक उसी प्रकार राष्ट्र की रक्षा और अधर्म के खिलाफ प्रयोग में लाए जाने वाले शास्त्रों की पूजा करने से दुश्मन पर सदैव विजय प्राप्त होती है. प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने से पहले दशहरा पर्व का इंतजार करते थे. ऐसा माना जाता था कि दशहरे के दिन युद्ध करने से विजय सुनिश्चित हो जाती है.
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