ऋग्वेद
हमें बांटकर खाना सिखाता है ...
ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों में उत्पन्न होता है,
उसका बंटवारा तो देखिए...
१ - भूमि से चार अंगुल भूमि का,
२ - गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का,
३ - पहली उपज की पहली बाली अग्नि की,
४ - बाली से गेहूँ अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियों का,
५ - गेहूँ का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का,
६ - चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का,
७ - पुनः उस आटे की पहली रोटी गौमाता की,
८ - प्रथम थाली घर के वृद्ध ज्येष्ठ की,
९ - ततपश्चात हमारी थाली,
१० - आखिरी रोटी कुत्ते की,
ये हमें सिखाती है हमारी महान सनातन संस्कृति और
मुझे गर्व है कि मैं इस संस्कृति का हिस्सा हूँ...।
क्या किसी अन्य पन्थ सम्प्रदाय में सभी जीवों के लिए इस प्रकार दान करने की व्यवस्था है.??
नहीं, वहाँ बस स्वार्थ सिद्धि के उपाय हैं।
इसीलिए लिए तो सूक्ति है..
अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम।
उदारचरितां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥
जय सनातन धर्म।
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