G-B7QRPMNW6J सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठान में माथे पर अनामिका अंगुली से तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण
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सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठान में माथे पर अनामिका अंगुली से तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण

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Sanatan Dharm में धार्मिक अनुष्ठान में अनामिका अंगुली से माथे के बीच में टिका क्यों लगाया जाता है?

सनातन संस्कृति में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान जैसे यज्ञ, पूजा पाठ आदि के अलावा किसी नए काम की शुरुआत करने से पहले ब्राह्मण व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के माथे पर तिलक लगाने की परम्परा है। इस दौरान माथे पर रोली, चंदन, कुमकुम आदि से तिलक लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति के मस्तिष्क के बीच भगवान विष्णु विराजित होते हैं इसलिए सदा ही व्यक्ति के मस्तक पटल के बीचों बीच तिलक लगाया जाता है। साथ ही माथे पर तिलक लगाने के पीछे कई सारे वैज्ञानिक कारण भी है।

माथे में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है उस भाग को आज्ञाचक्र कहा जाता है । शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । इसे प्रयोगों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है हमारे ऋषिगण इस बात को भलीभाँति जानते थे पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन से बार-बार उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर, तृतीय नेत्र जानकर इसके उन्मीलन की दिशा में किया गया प्रयास जिससे आज्ञाचक्र को नियमित उत्तेजना मिलती रहती है ।

अनामिका अंगुली से लगाना चाहिए तिलक 

हमेशा अनामिका उंगली से तिलक लगाया जाता है. अनामिका उंगली सूर्य की प्रतीक होती है. अनामिका ऊँगली का संबंद साथ-साथ दिल की नसों से भी होता है | जिससे ये भावना और तेज का भी प्रतिक है | अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी और प्रतिष्ठा मिलती है. साथ ही जब भी मान-सम्मान के लिए अंगुष्ठ यानि अंगूठे से तिलक लगया जाता है. अंगुष्ठ से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है. विजय प्राप्ति के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाया जाता है. 

माथे के बीच में आज्ञा चक्र पर लगाते हैं तिलक

हमारे शरीर में ऊर्जा के 7 छोटे-छोटे केंद्र हैं जिन्हें चक्र कहा जाता है और ये चक्र अपार शक्ति के भंडार हैं (Energy Source). तिलक या टीके को माथे के बीचों बीच लगाने के पीछे कारण ये है कि वहां पर आज्ञा चक्र होता है. हमारे शरीर के 7 चक्रों (Seeven Chakra) में से यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. आज्ञा चक्र स्पष्टता और बुद्धि का केन्द्र है. यहां पर शरीर की 3 प्रमुख नाड़ियां- इडा (चंद्र नाड़ी), पिंगला (सूर्य नाड़ी) और सुषुम्ना (केन्द्रीय, मध्य नाड़ी) आकर मिलती हैं. आज्ञाचक्र को गुरुचक्र भी कहा जाता है क्योंकि यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है. यह हमारे शरीर का केंद्र स्थान है. 

माथे पर तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण

किसी भी व्यक्ति के माथे पर तिलक लगाने के पीछे मुख्यता वैज्ञानिक तर्क दिया गया है कि हमारी आंखों के बीच माथे के शीर्ष पर एक नस होती है। जहां तिलक और कुमकुम लगाने से व्यक्ति सदैव ही सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है और जब हाथों की उंगली से माथे के बीचों बीच तिलक लगाया जाता है तब चेहरे की त्वचा में रक्त संचरण शीघ्रता से होता है।

माथे पर तिलक लगाने से मस्तिष्क में सेराटोनिन और बीटा एंडोफ्रिन का प्रवाह होता है। जिससे व्यक्ति के मन में मौजूद उदासी समाप्त होती है और वह सकारात्मक विचारों से ओत प्रोत होता है। दूसरी ओर माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

मानव मस्तिष्क के बीचों बीच जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है उसे आज्ञा चक्र कहते हैं। जहां से ही सम्पूर्ण शरीर का संचालन होता है। ऐसे में माथे पर तिलक लगाने से मानव का स्वास्थ्य और स्वभाव दोनों ही ठीक रहते हैं। माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति की धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में रुचि बढ़ती है।

सनातन धर्म में विभिन्न धार्मिक अवसरों पर अलग अलग प्रकार के शैव, शाक्त, वैष्णव, विष्णु स्वामी, रामानंद, श्याम श्री, तांत्रिक आदि तिलक मस्तक पटल पर लगाए जाते हैं।

समुद्र शास्त्र के अनुसार, अनामिका उंगली से माथे पर तिलक लगाने से मनुष्य को शांति मिलती है। मध्यमा उंगली से तिलक लगाने पर मनुष्य की आयु में बढ़ोत्तरी होती है। प्राचीन समय में युद्ध पर जाने वाले सैनिकों का अंगूठे से राजतिलक कर उन्हें विजयी भव का आशीर्वाद दिया जाता था।

हर साल गंगा स्नान के मौके पर माथे पर तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठान के बाद माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति के समस्त पाप दूर होते हैं और उसका जीवन धन धान्य से संपन्न होता है। 

सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठान में माथे पर अनामिका अंगुली से तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण
सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठान में माथे पर अनामिका अंगुली से तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण 

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