मृत्यु उपरांत जीव की आत्मा का वास:-
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मृत्यु उपरांत आत्मा तेरहवीं तक धरती (घर) पर रहती है। इस दौरान मृतक की आत्मा को भोजन दिया जाता है। इस भोजन से मृतक की आत्मा को यमलोक की यात्रा हेतु बल मिलता है। अंतिम दिन पिंडदान किया जाता है। इसके बाद मृतक की आत्मा मोह त्याग कर यमलोक की ओर बढ़ जाती है। सनातन धर्म में मृत व्यक्ति से जुड़ी चीजों का दान कर दिया जाता है। हालांकि, महंगी चीजों को लोग घर में रख लेते हैं। अनजाने में लोग इन चीजों का इस्तेमाल भी करने लगते हैं। शास्त्रों की मानें तो मृत व्यक्ति की चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं होता है। इससे जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आती हैं। इसके बारे में जानते हैं-
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मृत व्यक्ति की इन चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी न करें वरना शुरू हो जाएंगे बुरे दिन |
गरुड़ पुराण के अनुसार :-
सनातन धर्म में पुनर्जन्म का विधान है। इसकी पूरी जानकारी धर्म ग्रंथ ‘गरुड़ पुराण’ में निहित है। ‘गरुड़ पुराण’ में व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है, क्या करती है और कब शरीर धारण करती है ? इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध है। हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- आत्मा न कभी मरती है और न कभी जन्म लेती है। निश्चित अवधि के पश्चात आत्मा शरीर बदलती है। व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा जीवात्मा के साथ जाता है। कर्मों के अनुरूप ही व्यक्ति का प्रारब्ध लिखा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति द्वारा उसके जीवन में किए गए कर्मों के आधार पर उसे अगला जन्म मिलता है। आसान शब्दों में कहें तो कर्मों के अनुसार व्यक्ति को अगला जन्म प्राप्त होता है।
गरुड़ पुराण में निहित है कि मृतक व्यक्ति की घड़ी का भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे जीवात्मा आकर्षित होती है। ऐसी परिस्थिति में उपयोग करने वाले व्यक्ति के सपने में मृतक बार-बार आते हैं। मृतक की घड़ी बुरे समय को दर्शाती है। घड़ी के इस्तेमाल से पितृ दोष लगता है। अगर भूलवश मृतक की घड़ी रह जाती है, तो बहती जलधारा में प्रवाहित कर दें या मिट्टी में गाढ़ दें।
मृतक के उपयोग में आने वाले सामान से उसका संबंध :-
धर्म शास्त्रों की मानें तो मृतक के आभूषणों या गहनों में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। मृत व्यक्ति के गहने पहनने या इस्तेमाल करने से पितृ दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो ऐसा करने से मृतक की आत्मा आकर्षित होती है। अगर मृत व्यक्ति ने उपहार में दिया है, तो पहन सकते हैं। अगर उपहार में नहीं दिया है, तो निशानी के रूप में रख सकते हैं।
शास्त्रों में निहित है कि मृतक व्यक्ति को अपने कपड़ों से अधिक लगाव रहता है। शरीर छोड़ने के बाद भी मृतक की आत्मा मोह में बंधी रहती है। इसके लिए मृतक व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल न करें। अगर घर में मृतक व्यक्ति के कपड़े हैं, तो जरूरतमंदों को दान कर दें। इससे मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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