साल की पहली अमावस्या पर विशेष संयोग, इस दिन अवश्य करें पितृदोष निवारण के उपाय
साल की पहली अमावस्या पर विशेष संयोग, इस दिन अवश्य करें पितृदोष निवारण के उपाय |
मौनी अमावस्या यानी एक ऐसी अमावस्या जिस दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं इस दिन मौन रहकर दान और स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि मौनी अमावस्या (या जिसे माघ अमावस्या भी कहते हैं) के दिन ही मुनि ऋषि का जन्म हुआ था और मुनि शब्द से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई है।
मौनी अमावस्या 2022: तिथि और शुभ मुहूर्त
1 फरवरी, 2022 (मंगलवार)
जनवरी 31, 2022 को 14:20:40 से अमावस्या आरम्भ
फरवरी 1, 2022 को 11:18:04 पर अमावस्या समाप्त
इस वर्ष मौनी अमावस्या पर बन रहा है मणिकांचन योग
हिंदू धर्म में सभी अमावस्या तिथियों को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हालांकि इनमें से मौनी अमावस्या को सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी होने का दर्जा प्राप्त है। वर्ष 2022 में मौनी अमावस्या 1 फरवरी को पड़ेगी लेकिन अमावस्या तिथि क्योंकि 31 जनवरी 2022 को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से ही आरंभ हो जाएगी ऐसे में श्राद्ध के लिए 31 तारीख की उपयुक्त बताई जा रही है। हालांकि स्नान, दान के लिए उदय कालिक यानी 1 फरवरी मंगलवार का दिन ज्यादा शुभ रहने वाला है।
अमावस्या क्योंकि मंगलवार के दिन पड़ रही है इसे इसलिए भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है और भौमवती अमावस्या का मणिकांचन योग इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के महत्व को कई गुना बढ़ा देगा। कहा जाता है इस दिन प्रयागराज के संगम में मौन रहकर स्नान और दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का महत्व
जैसा कि नाम से ही साफ है मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया जाता है। हालाँकि यदि आप पूरे दिन मौन नहीं रह सकते हैं तो भी कम से कम सवा घंटे का मौन अवश्य रखें। ऐसे में इस दिन मौन रहकर मुनियों के समान आचरण अर्थात व्यवहार करने से, उन्हीं के अनुरूप स्नान करने से व्यक्ति को समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो उसे मौनी अमावस्या कहते हैं। हालाँकि इस वर्ष मकर राशि में चतुर ग्रही योग बन रहा है। यानी कि मकर राशि में दो पिता ग्रह और दो पुत्र ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है। जहां एक तरफ से इस वर्ष सूर्य अपने पुत्र शनि देव के साथ स्वग्रही हो कर मकर राशि में गोचर कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करते हुए मकर राशि में गोचर कर रहे हैं।
स्वाभाविक सी बात है यह विशेष संयोग इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला होगा। ऐसे में यदि आपको अपने पितरों की आत्मा शांति के लिए तर्पण करना हो, अपने पापों से छुटकारा प्राप्त करना हो, किसी भी मनोकामना की पूर्ति करनी हो, तो मौनी अमावस्या के दिन आपको इस दिन के नियमों का पालन करने का विधान बताया जाता है।
कहते हैं इसी शुभ दिन हमारे पितृगण स्वर्ग लोक से उतरकर संगम में स्नान करने आते हैं। साथ ही देवता भी इस दिन इंसानी रूप धारण करके संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। यही वजह है कि इस दिन यदि जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन, श्रद्धा के साथ किया जाए तो इससे कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन मिलने वाले फल
मौनी अमावस्या के दिन यदि श्रद्धा पूर्वक स्नान दान और व्रत किया जाए तो उससे पुत्री और दामाद की आयु बढ़ती है।
पुत्री को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार राजसूय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
शनि के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है।
यदि इस दिन तिल और जल से पितरों का तर्पण किया जाए तो पितरों को स्वर्ग में अक्षय सुख मिलता है।
इसके अलावा यदि इस दिन गुड़, घी, तिल और शहद से बनी खीर गंगा में डाली जाए तो इससे हमारे पितृ तृप्त होते हैं और अपने संतानों की सभी कामनाएं पूरी करते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन करें ये काम पितरों को मिलेगी शांति और पितृदोष से भी मिलेगी राहत
अपने पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें और अपने पितरों की आत्मा की शांति की कामना करें।
सूर्य को अर्घ देने वाले जल में लाल फूल और काले तिल अवश्य डालें।
पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की मिठाई चढ़ाएं और पेड़ की 108 बार परिक्रमा अवश्य करें।
इस दिन जरूरतमंद और गरीब लोगों को तिल के बने लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल, इत्यादि अवश्य दान करें।
पितृदोष निवारण के लिए करें ये उपाय
यदि आपके जीवन में पितृदोष जैसे गंभीर दोष का साया है तो आपको मौनी अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने की विशेष सलाह दी जाती है, जैसे कि, इस दिन स्नान आदि करने के बाद घर के दक्षिणी हिस्से को साफ़ करके वहां एक सफ़ेद कपड़ा रखें। इस कपड़े के ऊपर अब तिल रख दें। इसके बाद यहाँ एक पितृ यन्त्र स्थापित करें। एक लोटे में पानी रखें और उसके ऊपर तिल लगी रोटी भी रख दें। पितरों के नाम से तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद यहाँ एक तुलसी का पत्ता रखें। सफ़ेद फूल रखकर चन्दन का तिलक लगायें। इसके बाद रोटी के चार टुकड़े करके आपको इसे चार लोगों (कुत्तों, कौवों, गाय, पीपल के पेड़ के नीचे) को खिलाना है।
मौनी अमावस्या पर राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष राशि: मेष जातक इस दिन तिल और गेहूं का दान करें। इससे आपके जीवन में सुख समृद्धि आएगी।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक जौ और चीनी का दान करें। इस उपाय से आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक किसी महिला को हरे रंग के वस्त्रों का दान करें। इससे आपकी समस्त मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक सफेद वस्तुओं और सफेद वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से आपको हर क्षेत्र में सफलता हासिल होगी।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातक छाता, जूता, गेहूं, धार्मिक पुस्तकें इत्यादि का दान करें। मौनी अमावस्या के दिन इस उपाय को करने से आपकी आर्थिक समस्या दूर होगी।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। इससे धन संबंधित और जीवन की हर एक परेशानी अवश्य दूर होगी।
तुला राशि: तुला राशि के जातक आटे और वस्त्र का दान करें। इससे आपके भौतिक सुखों में वृद्धि होगी।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक गुड़ से बनी मिठाई का दान करें। इस उपाय को करने से आपके शत्रुओं का नाश होगा और जीवन में पितरों की कृपा बनी रहेगी।
धनु राशि: धनु राशी के जातक इस शुभ अवसर पर चने की दाल, उड़द का दान करें। इससे आपके विवाद हल होंगे और जीवन में खुशियों की दस्तक होगी।
मकर राशि: मकर राशि के जातक काले तिल से बनी वस्तुओं का दान करें। इस उपाय से
आपकी आर्थिक समस्याएं दूर होंगी।
कुंभ राशि: कुम्भ राशि के जातक कुष्ट रोगियों को खाना खिलाएं । इस उपाय को करने से कार्यक्षेत्र और व्यवसाय से जुड़ी तमाम परेशानियाँ दूर हो जाएगी।
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