G-B7QRPMNW6J इसी माह मेष राशि में तीन महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने से भी इस महीने का महत्व बढ़ गया है
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इसी माह मेष राशि में तीन महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने से भी इस महीने का महत्व बढ़ गया है

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इसी माह मेष राशि में तीन महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने से भी इस महीने का महत्व बढ़ गया है

इसी माह मेष राशि में तीन महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने से भी इस महीने का महत्व बढ़ गया है
इसी माह मेष राशि में तीन महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने से भी इस महीने का महत्व बढ़ गया है


अप्रैल के महीने में तीन बड़े ग्रह (बुध, राहु और सूर्य) मेष राशि में त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। हालांकि ग्रहों का राशि परिवर्तन समय-समय पर होता रहता है, परंतु इस वर्ष अप्रैल में छायाग्रह राहु का मेष में गोचर करना और वहां पहले से मौजूद बुध के साथ युति करते हुए, कुछ समय बाद सूर्य के साथ भी युति करना, ज्योतिष अनुसार कई अशुभ परिस्थितियों का निर्माण करेगा। मेष में तीन बड़े ग्रह कब-कब गोचर करेंगे और उनकी आपस में युति से कौन-कौन से योग का निर्माण होगा।

07 दिनों में मेष में तीन बड़े ग्रहों का होगा गोचर


8 अप्रैल को बुध देव का गोचर :


सबसे पहले बुद्धि के देवता बुध देव मेष में अपना गोचर करेंगे। जहां वे 08 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर गुरु की मीन राशि से निकलकर मंगल देव की मेष राशि में विराजमान हो जाएंगे। बुध यहाँ मेष में इस माह के 25 अप्रैल 2022, सोमवार तक इसी राशि में स्थित रहेंगे और फिर पुनः अपना गोचर करते हुए वृषभ में चले जाएंगे।

12 अप्रैल को राहु करेंगे गोचर :

बुध के बाद अब छाया ग्रह राहु का 18 महीने बाद वक्री गति में गोचर होगा। इस दौरान वे 12 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 18 मिनट पर वृषभ राशि से मेष राशि में अपना गोचर करते हुए, वहां पहले से मौजूद बुध के साथ युति करेंगे।


14 अप्रैल को सूर्य देव का गोचर :

अंत में ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य देव का मेष राशि में गोचर होगा। इस दौरान वे 14 अप्रैल 2022, गुरुवार की सुबह 8 बजकर 33 मिनट पर अपने मित्र ग्रह गुरु बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर अपनी उच्च राशि मेष में प्रस्थान करेंगे। जहाँ उनकी युति वहां पहले से मौजूद राहु और बुध के साथ होगी।

बुध-राहु की युति से बना अशुभ योग

12 अप्रैल को जब राहु मेष में विराजमान होंगे तब उनकी युति वहां पहले से मौजूद बुध ग्रह के साथ होगी। ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार बुध-राहु की युति से “जड़त्व योग” का निर्माण होता है, जो ज्योतिष शास्त्र में बहुत अशुभ योग माना जाता है। क्योंकि जहाँ राहु कूटनीति, राजनीति, धोखा, प्रपंच, भ्रम, विदेशी भाषा, विदेश और मानसिक रोग आदि का कारक माने जाते हैं। वहीं बुध को वाणी, व्यापार, कम्युनिकेशन, बुद्धि, गणना, तर्क शास्त्र आदि का कारक माना गया है। ऐसे में जब भी किसी राशि में बुध और राहु एक साथ आ जाते हैं तब जड़त्व योग बनता है।
हालांकि हर कुंडली में इस योग का फल अलग-अलग भाव के अनुसार ही जातक को मिलता है। परंतु चूंकि मेष राशि में ये अशुभ योग 12 अप्रैल से 25 अप्रैल तक बन रहा है, इसलिए इसके परिणामस्वरूप इस योग का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव मेष राशि के जातकों को मिलने की आशंका रहेगी। इस दौरान मेष जातकों की वाणी में कड़वाहट आएगी। साथ ही ये जातक स्वभाव से चालाक और धोखेबाज़ प्रवत्ति के बन सकते हैं।

सूर्य-राहु की युति से लगेगा साल का प्रथम ग्रहण

14 अप्रैल को जब सूर्यदेव अपना गोचर करते हुए मेष में विराजमान होंगे तब उनकी युति वहां पहले से मौजूद बुध और राहु के साथ होगी। आमतौर पर बुध-सूर्य की युति से लगभग हर माह “बुधादित्य योग” बनता है, जो शुभ योग माना गया है। परंतु इस माह मेष में राहु की उपस्थिति से बुधादित्य योग का फल कम हो जाएगा और सूर्य-राहु की युति मिलकर “ग्रहण योग” का निर्माण करेगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि किसी राशि में सूर्य-राहु एक साथ आ जाते हैं तो उस स्थिति में ग्रहण योग बनता है, जिसके चलते ही सूर्यग्रहण लगता है।

यही कारण है कि साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल की रात्रि 12 बजकर 15 मिनट से सुबह 04 बजकर 07 मिनट तक लगेगा, जो एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा। स्वभाव से सूर्य और राहु एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत ग्रह होते है। ऐसे में प्रकाश के कारक ग्रह सूर्य का मिलान अंधकार कारक राहु के साथ जब-जब होता है, तब देश-दुनिया के साथ-साथ हर जातक के जीवन में भी कई नकारात्मक प्रभाव दिखाई देते हैं। हालांकि सूर्य जब 15 मई को मेष से निकलकर वृषभ राशि में अपना गोचर कर जाएंगे तब ये ग्रहण योग भी समाप्त हो जाएंगे।

मेष राशि के जातकों को रहना होगा सावधान

चूंकि बुध-राहु-सूर्य तीनों ग्रह मेष राशि में ही युति करेंगे, इसलिए इसका प्रभाव सबसे अधिक मेष राशि के जातकों के जीवन को प्रभावित करेगा। इसके अलावा इस वर्ष का पहला सूर्यग्रहण भी मेष राशि में ही लगेगा, इस कारण भी मेष जातकों को विशेष सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

इन त्रिग्रहों के गोचर से मेष जातक को भाग्य का साथ नहीं मिलेगा और इससे उन्हें अपने जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में कई प्रकार की चुनौतियों से दो-चार करना होगा:-

कार्यक्षेत्र पर भी सामान्य से अधिक संघर्ष और मेहनत के बाद ही आप अपने कार्य पूरा कर सकेंगे।
कई जातकों के चेहरे पर हताशा और निराशा भी साफ़ देखी जा सकती है।
घरवालों, खासतौर से घर के बड़े सदस्यों से बातचीत के समय सतर्क रहना होगा।
इस समय आपकी किसी अपने के साथ लड़ाई-झगड़ा भी संभव है।

उपाय

हालांकि ज्योतिषों के अनुसार जातक कुछ उपायों को अपनाकर इस ग्रहण और अशुभ योग के नकारात्मक प्रभाव से काफी हद तक अपना बचाव भी कर सकते हैं। तो चलिए जानें उन उपायों के बारे में:-
भगवान गणेश की पूजा अर्चना और आराधना कर हर बुधवार के दिन गणेश जी को लड्डू का भोग लगाएं।
रोजाना सूर्यदेव को नमस्कार करते हुए उन्हें जल अर्पित करें।
बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।
रोजाना कम से कम 108 बार सूर्य देव के मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण करें।
संभव हो तो सूर्य ग्रह शान्ति पूजन करवाएं।
राहु ग्रह शान्ति पूजन करवाना भी आपके लिए बेहद अनुकूल सिद्ध होगा।
नवग्रह शांति पूजा करें।
नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
5 नारियल अपने सिर पर से वारकर, उन्हें बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
आपके लिए श्री आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करना भी उचित रहेगा।
खासतौर से एकादशी और रविवार का व्रत विधि अनुसार करें।
चैत्र श्री राम नवमी की ढेरों शुभकामनाएँ!

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