हरतालिका तीज : गौरा तीज भी कहे जाने वाले इस पर्व का महत्व-शुभ मुहूर्त-पूजा विधि एवं राशि अनुसार उपाय
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हरतालिका तीज : गौरा तीज भी कहे जाने वाले इस पर्व का महत्व-शुभ मुहूर्त-पूजा विधि एवं राशि अनुसार उपाय |
हरतालिका तीज के नाम के पीछे का रहस्य ?
हरतालिका तीज दो शब्दों से मिलकर बना है। हरित और तालिका। हरित का अर्थ होता है हरण करना और तालिका का मतलब सखी सहेली से है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर ही माता पार्वती की सखी सहेलियों ने उनके पिता के घर से हरण करके जंगल में भगवान शिव की उपासना करने के लिए लेकर गईं थीं। जहां पर माता पार्वती ने कठोर तप करते हुए भगवान शिव को पति के रूप में पाया था।
हिंदू धर्म में तीज के पर्व का विशेष महत्व होता है। तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष आराधना की जाती है। उत्तर भारत में तीज के त्योहार को विशेष और भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। आज हरतालिका तीज पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इस तीज को हरतालिका तीज नाम क्यों पड़ा।
धार्मिक कथाओं में इसे भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक माना गया है, इसलिए इस दिन अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। तभी से ही इस व्रत की परंपरा चली आ रही है। यह व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह ही किया जाता है। जो कि पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हरतालिका तीज को सालभर में आने वाले तीनों तीज त्योहारों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है और यह पर्व हरियाली तीज और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित होता है और इस दिन इनकी पूजा विधिविधान से करना कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला और निराहार व्रत करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती अपने कई जन्मों से भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बाल अवस्था में अधोमुखी होकर तपस्या की थी। माता पार्वती ने इस तप में अन्न और जल का भी सेवन नही किया था। वह सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर ही तप किया करती थी।माता पार्वती को इस अवस्था में देखकर उनके माता पिता बहुत दुखी रहते थे। एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की तरफ से पार्वती जी के विवाह के लिए प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। पार्वती जी के पिता ने तुरंत ही इस प्रस्ताव के लिए हां कर दी। जब माता पार्वती को उनके पिता ने उनके विवाह के बारे में बताया तो वह काफी दुखी हो गई।उनकी एक सखी से माता पार्वती का यह दुख देखा नहीं गया और उन्होंने उनकी माता से इस विषय में पूछा। जिस पर उनकी माता ने उस सखी को बताया कि पार्वती जी शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही हैं। लेकिन उनके पिता चाहते की पार्वती का विवाह विष्णु जी से हो जाए। इस पर उनकी उस सहेली ने माता पार्वती को वन में जाने कि सलाह दी।जिसके बाद माता पार्वती ने ऐसा ही किया और वो एक गुफा में जाकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गई थी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का बनाया और शिव जी की स्तुति करने लगी। इतनी कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया।
आज हरतालिका तीज पर बना शुभ योग
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना और अखंड सौभाग्यवाती होने का वरदान पाने के लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को निर्जला व्रत रखा जाता है। इसे हरतालिका तीज या फिर तीजा कहा जाता है। आज यानी 30 अगस्त 2022 को हरतालिका तीज पर शुभ योग हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन हुआ है। शुभ योग 30 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 03 मिनट तक रहेगा और पूरे दिन हस्त नक्षत्र रहेगा। ऐसे में शुभ योग और नक्षत्र में हरतालिका पर्व और पूजा-पाठ मनाना बहुत ही फलदायी रहेगा।
हरतालिका पूजा शुभ मुहूर्त 2022
हरतालिका तीज जिसे उत्तर भारत में तीजा के नाम से जाना जाता है आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत बीते 29 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी है। जोकि 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। अगर हरतालिका तीज के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 08 बजकर 38 मिनट तक थी। शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में शुभ मानी जाती है। सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है। 30 अगस्त को प्रदोष काल शाम के 06 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
भगवान शिव की कृपा और किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत करना बेहद शुभ माना गया है। अगर आप सोच रहे हैं कि हरतालिका तीज का व्रत सिर्फ विवाहित स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है तो आपको बता दें कि इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। आइए जानते हैं कि हरतालिका तीज कब है, इसे कैसे मनाया जाता है, इसकी पूजन विधि क्या है और भी काफ़ी कुछ।
क्यों लगाई जाती है हरतालिका तीज पर मेहंदी?
सुहागिन स्त्री का श्रृंगार मेहंदी के बिना अधूरा माना जाता है क्योंकि मेहंदी का गहरा लाल रंग पति के प्रेम को दर्शाता है। हरतालिका तीज पर मेहंदी लगाने के पीछे मान्यता है कि माँ पार्वती ने अपने मन में भगवान शंकर को अपना पति मान लिया था, इसलिए शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उन्होंने व्रत रखा और हाथों में मेहंदी लगाई। जब शिव जी ने माता पार्वती के हाथों में लगी मेहंदी का लाल रंग देखा तो उन्होंने प्रसन्न होकर देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था
हरतालिका तीज की पूजा के लिए उत्तम मुहूर्त
हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती और जीवन में सुख-सुविधा और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हरतालिका तीज पर प्रदोष काल में पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसे में आज शाम को 06 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
हरतालिका तीज 2022: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
तिथि: 30 अगस्त 2022
दिन: मंगलवार
प्रातःकाल मुहूर्त: 05:57:47 से 08:31:19 तक
अवधि: 2 घंटे 33 मिनट
हरतालिका तीज 2022: पूजा विधि
हरतालिका तीज के शुभ अवसर पर श्रीगणेश, माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
पूजा शुरू करने के लिए सबसे पहले इन तीनों देवी-देवताओं की मूर्ति/प्रतिमा बनाएं और सर्वप्रथम भगवान गणेश को तिलक करें और दूर्वा (दूब घास) अर्पित करें।
इसके बाद, भगवान शिव को धतूरा, फूल, बेलपत्र, शमी पत्र चढ़ाएं और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
तीनों देवी-देवताओं को वस्त्र चढ़ाने के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ करें या फिर सुनें।
कथा पाठ करने के बाद, गणेश जी, शिव जी एवं माँ पार्वती की आरती करें और अंत में प्रसाद का भोग लगाएं।
हरतालिका तीज व्रत करने के नियम
हरतालिका तीज का व्रत जो महिलाएं पहली बार कर रही हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस व्रत को अधूरा छोड़ना और बीच में तोड़ना वर्जित होता है।
इस दिन यदि किसी महिला को मासिकधर्म हो रहे हैं तो उसे भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए और कथा भी दूर से ही सुननी चाहिए।
हरतालिका तीज 2022 पर ज़रूर करें इन मंत्रों का जाप
शांति मंत्र
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
क्षमा मंत्र
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया। तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति॥
देवी पार्वती का मंत्र
ओम् उमयेए पर्वतयेए जग्दयेए जगत्प्रथिस्थयेए स्हन्तिरुपयेए स्हिवयेए ब्रह्म रुप्नियेए”
शिव मंत्र
ओम् ह्रयेए महेस्ह्अरयेए स्हम्भवे स्हुल् पद्येए पिनक्ध्रस्हे स्हिवये पस्हुपतये महदेवयअ नमह्”“
हरतालिका तीज पर राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष:
मेष राशि की महिलाएं पूजा करते समय लाल रंग का कपड़ा पूजास्थल पर रखें और गाय को मीठी रोटी खिलाएं। संभव हो, तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद की सहायता करें।
वृषभ:
इस राशि की महिलाओं को हरतालिका तीज के दिन तुलसी या बांस का पौधा लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस दिन आप बगीचों में पेड़-पौधों को पानी भी दें।
मिथुन:
इस दिन मिथुन राशि की महिला जातकों को अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए और जरूरतमंदों को दवाइयां दान करनी चाहिए।
कर्क:
कर्क राशि की महिलाएं अपने परिवार के बुजुर्गों की इच्छाओं या कामनाओं को पूरा करने की कोशिश करें। इसके अलावा, परिवार के किसी बड़े सदस्य से चावल या चांदी की कोई वस्तु लेकर हमेशा उसे अपने पास रखें।
सिंह:
हरतालिका तीज के दिन, इस राशि की महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। साथ ही, इस दिन संध्या के समय गरीब लोगों को अखरोट और नारियल का दान करें।
कन्या:
कन्या राशि की महिलाएं इस दिन किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने और कठोर शब्द कहने से बचें। इस दिन काले रंग के रुमाल या काले वस्त्रों का दान करना आपके लिए शुभ साबित होगा।
तुला:
इस राशि की महिला जातकों के लिए गाय को रोटी खिलाना फलदायी साबित होगा, साथ ही आपको अपने माता-पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा।
वृश्चिक:
वृश्चिक राशि की महिलाएं हरतालिका तीज पर निर्धन लोगों को मीठी रोटी खिलाएं और छल-कपट के कार्यों से दूरी बनाए रखें।
धनु:
धनु राशि की महिलाओं को अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों की मदद करनी चाहिए और अगर आप चाहें तो आप किसी असमर्थ व्यक्ति को तीर्थयात्रा पर भी ले जा सकते हैं।
मकर:
इस राशि की महिलाओं को हरतालिका तीज के दिन जीव-जंतु एवं जानवरों की सेवा करनी चाहिए। साथ ही किसी भी तरह की बहस या गलत कार्य में शामिल होने से बचें।
कुंभ:
कुंभ राशि की महिलाएं दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके अनाज का दान करें। साथ ही इस दिन भैरव मंदिर में दूध चढ़ाना आपके लिए शुभ साबित होगा।
मीन:
अगर आपकी राशि मीन है, तो आप किसी भी इंसान से धन उधार लेने से बचें। साथ ही, परिवार के बड़े बुजुर्गों की भावनाओं का सम्मान करें।
अखंड सौभाग्य पाने के लिए आज हरतालिका तीज के दिन क्या करें ?
आज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है और इसी तिथि पर हर वर्ष हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुंदर वस्त्र-आभूषण पहन कर मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजन में सुहाग की सभी सामिग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए ।नैवेध में भगवान को घेवर, खीर पूरी,हलुआ और मालपुए से भोग लगाकर प्रसन्न करें।तत्पश्चात तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए।
हरतालिका तीज पर श्रृंगार- नथ, अंगूठी और मेहंदी का महत्व
नथ सोलह श्रृंगार में शामिल जरूरी चीजों में से एक है, इसके अलावा हाथों की उंगलियों में पहने जाने वाली अंगूठी का भी विशेष महत्व होता है। हरतालिका तीज के पर्व पर हाथों में बिना मेंहदी की अधूरी समझी जाती है।
हरतालिका तीज पर अवश्य ही करें पार्वती चालीसा
दोहा
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि।
चौपाई
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो।।
तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हिय सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।।
ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत् शोभा मनहर।
कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए।।
कंठ मंदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।
बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।
कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।
देव मगन के हत अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।
सौत समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।
तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।
नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।।
करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जन सुख देइहै तेहि ईसा।।
दोहा
कूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि,
पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।
हरतालिका तीज पर आज जरूर करें इन मंत्रों का जाप
देवी मंत्र- ऊँ गौर्ये नम: और गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।
शिव मंत्र- ऊँ नम: शिवाय
गणेश जी के मंत्र- श्री गणेशाय नम:
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