10 दिन बाद ही क्यों होता है गणेश विसर्जन जाने महाभारत से जुड़ी विचित्र कथा
![]() |
10 दिन बाद ही क्यों होता है गणेश विसर्जन जाने महाभारत से जुड़ी विचित्र कथा |
ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। इसके साथ ही पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत का लेखन कार्य शुरू हुआ था।
महर्षि वेदव्यास में महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश जी से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी। लेकिन गणेश जी ने उनके आगे यह शर्त रख दी थी कि वह अगर लिखना शुरू करेंगे, तो अपनी कलम नहीं रोकेंगे। इसके साथ ही गणेश जी ने यह भी कहा कि अगर कलम रुक गई तो वह वहीं पर लिखना बंद कर देंगे।
10 दिन बाद ही क्यों होता है गणेश विसर्जन जाने महाभारत से जुड़ी विचित्र कथा
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश घर-घर में विजाजते हैं. वहीं इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होता है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि गणपति 10 दिन ही क्यों विराजते हैं. 10 दिन बाद गणेश विसर्जन करने के पीछे एक खास कारण है, जिसका संबंध महाभारत से जुड़ा है.
मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का जन्म हुआ था. साथ ही पौराणिक कथाओं में यह भी उल्लेख है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत का लेखन कार्य शुरू हुआ था. महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी और गणेश जी ने कहा था कि वह लिखना आरंभ करेंगे तो कलम नहीं रोकेंगे. यदि कलम रुक गई तो वहीं लिखना बंद कर देंगे. तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि, यदि मुझसे श्लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं. इस तरह महाभारत लेखन शुरू हुआ और लगातार 10 दिन तक चला.
भगवान गणेश जी के शरीर पर जम गई थी धूल-मिट्टी
अनंत चतुर्दशी के दिन जब महाभारत लेखन का काम पूरा हुआ तो गणेश जी का शरीर जड़वत हो चुका था. बिल्कुल न हिलने के कारण उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई थी. तब गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपना शरीर साफ किया. इसलिए गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
दस दिन से पूर्व गणपति जी का विसर्जन का सही समय
अगर 10 दिनों के लिए बप्पा को घर नहीं रख सकते तो आप गणेश चतुर्थी के दिन ही या फिर डेढ़ दिन बाद, तीन दिन बाद, पांच दिन बाद, या फिर सातवें दिन गणपति जी का विधिवत विसर्जन कर देते हैं। इसका भी उतना ही शुभ फल मिलता है जितना अनंत चतुर्थी के दिन विसर्जन करने से मिलता है।
0 टिप्पणियाँ