G-B7QRPMNW6J Rudrabhishek: क्या है रुद्राभिषेक और इससे होने वाले 19 प्रकार के लाभ और शुरुआत होने का वैदिक का कारण?
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Rudrabhishek: क्या है रुद्राभिषेक और इससे होने वाले 19 प्रकार के लाभ और शुरुआत होने का वैदिक का कारण?

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Rudrabhishek: रुद्राभिषेक क्या होता है?

रुद्राभिषेक में शंकर भगवान के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप माना जाता है जो समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है.  रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक करना. रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है. रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है.

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Rudrabhishek: रुद्राभिषेक के आरम्भ होने की वैदिक कथा:-

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई. ब्रह्माजी जब अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया. उन्होंने कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ.

इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए. इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए. कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ.

Rudrabhishek: रुद्राभिषेक का सावन में विशेष महत्व:-

माना जाता है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह दोष भी दूर होते हैं. भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक करने से इसका पूर्ण लाभ मिलता है. रूद्राभिषेक करने से परिवार में सुख-शांति और सफलता आती है.

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रुद्राभिषेक में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है. इससे संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है. वहीं दही से अभिषेक करने पर कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है. इसके अलाव गंगाजल, शहद, घी, इत्र, गन्ने का रस, सरसों के तेल और शुद्ध जल से अभिषेक करने से भी शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है.

Rudrabhishek: रुद्राभिषेक के लिए किन सामग्रियों का होना जरूरी, जानिए सावन में रुद्राभिषेक की विधि:

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Rudrabhishek: रुद्राभिषेक के लिए जरूरी सामग्री

आप खुद भी घर पर रुद्राभिषेक करते सकते हैं या फिर किसी पुरोहित के द्वारा भी रुद्राभिषेक करा सकते हैं. रुद्राभिषेक के लिए आपको गाय का घी, चंदन, पान का पत्ता, धूप, फूल, गंध, बेलपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत गन्ने का रस, चंदन, गंगाजल, शुद्ध जल, सुपारी, नारियल, श्रृंगी आदि की आवश्यकता होगी. रुद्राभिषेक से पहले इन सामग्रियों को एकत्रित कर लें. 

Rudrabhishek: रुद्राभिषेक करने की विधि:

देवका समस्य सुचारुरूपमें वर्णित है। 'एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति', यह उपनिषद्- नाव यहाँ चरितार्थ होता है--

ॐ अशा बातो देवता सूर्य देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुद्रा देवता ऽऽदित्या देवता मरुतो देवता विषे देवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता ॥

इस प्रकार शुक्लयजुर्वेदीय रूद्राध्यायीमें भगवान् रुद्रका माहात्म्य विविधता-विशदतासे सम्पूर्णतया आच्छादित है। कविकुलगुरु कालिदासने 'अभिज्ञानशाकुन्तल' नाटकके मङ्गलश्लोक 'या सृष्टिः स्रष्टुराद्या' द्वारा शिवजीकी जिन अष्टविभूतियोंका वर्णन किया है, वे हाथी के आठ अध्यायोंमें भी विलसित हैं।

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अन्तमें शिवजीकी वन्दना वैदिक मन्त्रद्वारा की जा रही है-

ॐ ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानाम्। ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम् ॥ 'ॐ तत्सत्'।

जाननेयोग्य आवश्यक बातें रुद्रपाठकी महिमा

आशुतोष भगवान् सदाशिवकी उपासनामें रुद्राष्टाध्यायीका विशेष माहात्म्य है। शिवपुराणमें सनकादि ऋषियोंके प्रश्न करनेपर स्वयं शिवजीने रुद्राष्टाध्यायीके मन्त्रोंद्वारा अभिषेकका माहात्म्य बतलाते हुए कहा है कि मन, कर्म तथा वाणीसे परम पवित्र तथा सभी प्रकारकी आसक्तियोंसे रहित होकर भगवान् शूलपाणिकी प्रसन्नताके लिये रुद्राभिषेक करना चाहिये। इससे वह भगवान् शिवकी कृपासे सभी कामनाओंको प्राप्त करता है और अन्तमें परम गतिको प्राप्त होता है। रुद्राष्टाध्यायीद्वारा रुद्राभिषेकसे मनुष्योंकी कुलपरम्पराको भी आनन्दकी प्राप्ति होती है—

मनसा कर्मणा वाचा शुचिः संगविवर्जितः । कुर्याद् रुद्राभिषेकं च प्रीतये शूलपाणिनः ॥

सर्वान् कामानवाप्रोति लभते परमां गतिम् । नन्दते च कुलं पुंसां श्रीमच्छम्भुप्रसादतः ॥ वायुपुराणमें आया है कि रुद्राष्टाध्यायीके नमक (पञ्चम अध्याय) और चमक (अष्टम अध्याय) तथा पुरुषसूक्तका प्रतिदिन तीन बार जप (पाठ) करनेसे मनुष्य ब्रह्मलोकमें प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। जो नमक, चमक, होतृमन्त्रों और पुरुषसूक्तका सर्वदा जप करता है, वह उसी प्रकार महादेवजीमें प्रवेश करता है, जिस प्रकार घरका स्वामी अपने घरमें प्रवेश करता है। जो मनुष्य अपने शरीरमें भस्म लगाकर, भस्ममें शयनकर और जितेन्द्रिय होकर निरन्तर रुद्राध्यायका पाठ करता है, वह परा मुक्तिको प्राप्त करता है। जो रोगी और पापी जितेन्द्रिय होकर रुद्राध्यायका पाठ करता है, वह रोग और पापसे मुक्त होकर अद्वितीय सुख प्राप्त करता है- सूक्तमेव च । नित्यं त्रयं प्रयुञ्जानो ब्रह्मलोके महीयते ॥

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रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और आपका मुख पूर्व की ओर होना चाहिए. श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें. फिर इसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध, जल, पंचामृत आदि जितने तरल पदार्थ हैं, इससे शिवलिंग का अभिषेक करें.

रुद्राभिषेक कई प्रकार के होते हैं, जिनमें विशेष प्रकार के पूजा-अर्चना और मंत्रों का उपयोग किया जाता है। कुछ प्रमुख रुद्राभिषेक के प्रकार निम्नलिखित हैं:

लघु रुद्राभिषेक: 

इसमें केवल शिवलिंग पर पानी, दूध, गंगाजल आदि से स्नान किया जाता है।

सामान्य रुद्राभिषेक: 

इसमें शिवलिंग को पांच वस्त्रों से अलंकृत किया जाता है और मंत्रों का जाप किया जाता है।

महा रुद्राभिषेक: 

इसमें बहुत से शिवलिंगों का समुदायिक स्नान किया जाता है, जिसमें विशेष प्रकार की पूजा-अर्चना और मंत्रों का पाठ किया जाता है।

अनुष्ठानिक रुद्राभिषेक: 

यह रुद्राभिषेक विशेष पर्व या धार्मिक अवसरों पर किया जाता है, जैसे महाशिवरात्रि आदि। इसमें विशेष प्रकार के अनुष्ठान और पूजा-अर्चना की जाती है।

रुद्राभिषेक के दौरान इस मंत्र करें जाप

शिव जी का रुद्राभिषेक करते समय मुख्य रूप से “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:“ मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि रूद्र अवतार शिव हमारे दुखों को जल्द हर कर उसे समाप्त कर देते हैं। इस पवित्र क्रिया के दौरान निम्नलिखित श्लोकों का जाप करना उत्तम माना जाता है।

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ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो

रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः

बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।

भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।

भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्यो खिलं जगत् ।

निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र- "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥" का जाप करते रहें.

इसी के साथ आप शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या रुद्रामंत्र का जाप भी कर सकते हैं.

शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं ,पान पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित करें और भोग चढ़ाएं.

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शिवलिंग के पास धूप-दीप जलाएं

अब शिवजी के मंत्र का 108 बार जाप करें और परिवार समेत आरती करें.

रुद्राभिषेक के जल को किसी पात्र में एकत्रित करते रहें और बाद में इसी जल से पूरे घर पर छिड़काव करे.

इस जल को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें. इससे रोग-दोष दूर हो जाते हैं.

जल से अभिषेक: जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।

कुशोदक से अभिषेक: असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।

भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।

धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।

तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।

पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।

रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।

 ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगा जल से रुद्राभिषेक करें।

 सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।

 प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।

 शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़ बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।

 सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।

 शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।

 पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।

 गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।

 पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें।

सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से अभिषेक: वंश का विस्तार होता है।

अतिरिक्त जानकारी:

· रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री और मंत्र भिन्न प्रकारों के रुद्राभिषेक के अनुसार भिन्न होते हैं।

· रुद्राभिषेक के दौरान विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे कि "श्री रुद्रम चमकम" और "नमः शिवाय"।

· रुद्राभिषेक के बाद, भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

(Disclaimer - The information given in this article has been collected from various mediums like Panchang, beliefs, or religious scriptures and has been brought to you. Our aim is only to provide information. For accurate and correct decisions, consult the concerned expert as per your horoscope. must take.)


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