G-B7QRPMNW6J Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय बनायेंगे बिगड़े काम पूजा- विधि और महत्व
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Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय बनायेंगे बिगड़े काम पूजा- विधि और महत्व

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Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय बनायेंगे बिगड़े काम पूजा- विधि और महत्व

Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय बनायेंगे बिगड़े काम पूजा- विधि और महत्व
Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय बनायेंगे बिगड़े काम पूजा- विधि और महत्व

Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Radha Ashtami 2022 : भगवान श्री कृष्ण का नाम हमेशा राधा जी के साथ लिया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल राधा अष्टमी 4 सितंबर, रविवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है।

राधा अष्टमी महत्व-

जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

राधाष्टमी के दिन राधा रानी का जन्म हुआ था और इस दिन विधि-विधान से राधा रानी का पूजन किया जाता है। पूजन का शुभ मुहुर्त चार सितंबर को सुबह पांच बजकर 26 मिनट से सुबह सात बजकर 20 मिनट तक रहेगा।पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार राधाजी कृष्णजी से उम्र में बड़ी थीं। जहां कृष्णजी का जन्म भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, वहीं राधाजी का जन्म भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने वालों को उनके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में नयी ख़ुशियों का आगमन होता है। चूँकि राधा रानी का नाम हमेशा कृष्णजी के साथ लिया जाता रहा है, इसलिए इस दिन कृष्णजी की पूजा अर्चना का भी महत्व है। राधा अष्टमी का व्रत रखने वालों को विशेष रूप से इस दिन राधा कृष्ण दोनों की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त-

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 03, 2022 को 12:28 P.M. बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 04, 2022 को 10:39 A.M. बजे

अष्टमी तिथि प्रारम्भ 3 सितम्बर 2022, शनिवार के दिन दोपहर 12:28 बजे से हो चुका है. ये 4 सितंबर रविवार के दिन सुबह 10:39 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के कारण इसे आज मनाया जा रहा है. आज अमृत काल दोपहर 01:22 मिनट से 02:53 मिनट तक है, वहीं 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक राहुकाल रहेगा. राहुकाल को छोड़कर दिनभर में किसी भी समय राधारानी का विधि विधान से पूजन किया जा सकता है. लेकिन अमृतकाल में पूजन करना श्रेष्‍ठ है.

राधा अष्टमी महत्व-

जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग राधा जी को प्रसन्न कर देते हैं उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन ये उपाय, दुख- दर्द होंगे दूर

राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि-

-प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।

-इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।

-कलश पर तांबे का पात्र रखें।

- अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।

-तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें।

- ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।

-पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें।

- दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।

Radha Ashtami 2022: अखंड सौभाग्य के साथ सुख-समृद्धि दिलाता है राधा अष्टमी व्रत,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

राधाष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 03 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 04 सितंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर होगा। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, राधाष्टमी व्रत 04 सितंबर 2022 को रखा जाएगा।

पूजन मुहूर्त-

04 सितंबर को राधाष्टमी पूजन के शुभ समय सुबह 04 बजकर 36 मिनट से सुबह 05 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि-

Radha Ashtami 2022 : राधा अष्टमी के दिन जरूर करें ये उपाय, दुख- दर्द होंगे दूर

Radha Ashtami 2022: राधा अष्टमी पर इस विधि से करें राधा-कृष्ण की पूजा, मिलेगा मनचाहा लाइफ पार्टनर

Radha Ashtami 2022 Kab Hai: भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. मान्यता है कि जो प्रेमी जोड़े इस दिन राधा-रानी की सच्चे मन से पूजा करते हैं, उनके जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती है. आइए जानते हैं कब है राधा अष्टमी और कैसे करें पूजा?

Radha Ashtami 2022 Puja Vidhi: धार्मिक मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था, ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पूजा बिना राधा जी की पूजा किए अधूरी रह जाती है. ऐसे में यदि आप कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा किए हैं तो राधा अष्टमी पर बांके बिहारी के साथ राधा रानी की पूजा अवश्य करें. मान्यता है कि जो लोग कृष्ण जी के साथ राधा-रानी की पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है. साथ ही जिन कुंवारे लोगों की शादी नहीं हो रही है या उन्हें मनचाहा लव पार्टनर नहीं मिल रहा है वे यदि इस दिन राधा रानी की सच्चे मन से पूजा करते हैं तो उन्हें मनयोग्य जीवनसाथी मिल जाता है.

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के नाम से जानते हैं. इस बार इस तिथि की शुरुआत 03 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से हो रही है, इसका समापन 4 सितंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य तिथि होती है. इसलिए राधा अष्टमी 04 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 04 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 2 मिनट तक है.

मनचाही प्रेमिका के लिए इस विधि से करें पूजा

भगवान कृष्ण और उनकी प्रेमिका राधा रानी को प्यार का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में जिनकी शादी नहीं हुई है या पति-पत्नी के बीच अनबन रहता है वे राधा अष्टमी का व्रत रख कर इस दिन राधा रानी के साथ भगवान कृष्ण के मूर्ति का स्थापना करें और विधि पूर्वक पूजा करते हुए  रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें. साथ ही उन्हें उन्हें फल, मेवा व मिठाईयों का भोग लगाएं और राधा जी की आराधना करते हुए राधा चालीसा का पाठ करें. मान्यता है कि इस दिन जो लोग कृष्ण राधा की एक साथ सच्चे मन से आराधना करते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. साथ ही जो कुंवारे लड़के अथवा कुंवारी लड़िकियां उनकी सच्चे मन से आराधना करती हैं उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इस दिन राधा चालीसा का पाठ अवश्य करें. राधा चालीसा निम्नलिखित है-

राधा अष्टमी के पावन दिन राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्री राधा चालीसा का पाठ अवश्य करें। श्री राधा चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और दुख- दर्द दूर हो जाते हैं। आगे पढ़ें श्री राधा चालीसा-

श्री राधा चालीसा

॥ दोहा ॥

श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।

वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥

जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।

चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥

॥ चौपाई ॥

जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥

रास विहारिणी रस विस्तारिन । सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी । श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥

करुना सागरी हिय उमंगिनी । ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिणी । कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥

नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें । श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥

मुरली में नित नाम उचारें । तुम कारण लीला वपु धरें ॥

प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी । श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥

नावाला किशोरी अति चाबी धामा । द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥10

गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥

जावक यूथ पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥

सन्तता सहचरी सेवा करहीं । महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्रण अधर । राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥

उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥

नित्य धाम गोलोक बिहारिनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पार न पायं सेष अरु शरद ॥

राधा शुभ गुण रूपा उजारी । निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20

प्रीतम संग दिए गल बाहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥

राधा कृष्ण कृष्ण है राधा । एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥

कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें । मान करो जब अति दुःख पावें ॥

प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें । विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम । नाम लेथ पूरण सब कम ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥

तू न श्याम भक्ताही अपनावें । जब लगी नाम न राधा गावें ॥

वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30

स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा । और तुम्हें को जननी हारा ॥

श्रीराधा रस प्रीती अभेद । सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥

कीरति कुमारी लाडली राधा । सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥

नाम अमंगल मूल नासवानी । विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥

राधा नाम ले जो कोई । सहजही दामोदर वश होई ॥

राधा नाम परम सुखदायी । सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥

यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन । जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥

रास विहारिणी श्यामा प्यारी । करुहू कृपा बरसाने वारि ॥

वृन्दावन है शरण तुम्हारी । जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40

॥ दोहा ॥

श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम ।

करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥

॥ इति श्री राधा चालीसा ॥

Radha Ashtami 2022: राधा अष्टमी पर आज करें ये स्त्रोत, बरसेगी कृष्ण की असीम कृपा 

Radha Ashtami 2022: कृष्ण प्रिया राधा रानी का जन्मोत्सव 4 सिंतबर 2022 को मनाया जाएगा. शास्त्रों में राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र का पाठ बहुत शक्तिशाली बताया गया है

  

राधा अष्टमी 2022 राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत

2, Radha Kripa Kataksh Stotra: 

कृष्ण प्रिया राधा रानी का जन्मोत्सव 4 सिंतबर 2022 को मनाया जाएगा. कहते हैं कृष्ण की कृपा चाहते हो तो राधा जी की भक्ति जरूर करना चाहिए. जहां भगवति राधा होंगी वहां कान्हा खुद ही चले आएंगे.  शास्त्रों में राधारानी को माता लक्ष्मी का स्वरूप बताया गया है. जैसे राधा के बिना श्याम अधूरे हैं वैसे ही राधा की पूजा के बिना श्रीकृष्ण की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती.

शास्त्रों में राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र का पाठ बहुत शक्तिशाली बताया गया है. राधा अष्टमी के दिन इस स्त्रोत का पाठ करने से सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है. अष्टमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा तिथि पर इस स्तोत्र को पढ़ना बेहद लाभकारी माना गया है.

राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र (Radha Kripa Kataksh Stotra Path)

राधा साध्यम साधनं यस्य राधा

मंत्रो राधा मन्त्र दात्री च राधा सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा

राधा राधा वाचिकिम तस्य शेषम

मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी

प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी

व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्

अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते

प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले

वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्.

अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां

सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः

निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्.

तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे

मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले

विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्.

मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते

प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते

अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्.

अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते

प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी

प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्.

मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते

लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने

ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्.

सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे

त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति

सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्

नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण

प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले

करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्

अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्

समाजराजहंसवंश निक्वणातिग

विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्.

अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते

हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे

अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे

कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्

मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी

त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी

रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी

ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते.

इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी

करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्

भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं

लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम्

राधाष्टमी का महत्व समझें

भगवान श्रीकृष्‍ण को प्रसन्‍न करना हो, तो श्रीराधा का पूजन करो, श्रीकृष्‍ण की कृपा स्‍वयं हो जाएगी. भगवान श्रीकृष्‍ण अक्‍सर कहा करते थे, 'राधा मेरी स्‍वामिनी, मैं राधे को दास, जनम-जनम मोहे दीजिए, वृंदावन को वास'. यानी श्रीकृष्‍ण राधारानी को अपनी स्‍वामिनी मानते थे और स्‍वयं को उनका दास कहा करते थे. इसके अलावा वे वृंदावन से विशेष प्रेम किया करते थे. इससे साफ है कि जहां राधा का भजन और पूजन होगा, वहां श्रीकृष्‍ण की मौजूदगी तो जरूर होगी.  पुराणादि में राधाजी का 'कृष्ण वल्लभा' कहकर गुणगान किया गया है. ज्‍योतिषाचार्य का कहना है कि  श्रीमद देवी भागवत में श्रीराधा की पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता. श्रीराधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं. आज के दिन राधारानी के मंत्रों का जाप करने, राधाष्‍टमी की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से व्‍यक्ति के जाने-अनजाने किए गए तमाम पाप मिट जाते हैं और अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

Radha Ashtami 2022 :

भगवान श्रीकृष्‍ण को प्रसन्‍न करना हो तो श्रीराधा का पूजन करो। श्रीकृष्‍ण की कृपा स्‍वयं हो जाएगी।

भगवान श्रीकृष्‍ण अक्‍सर कहा करते थे।

राधा मेरी स्‍वामिनी, मैं राधे को दास

जनम-जनम मोहे दीजिए

वृंदावन को वास

श्रीकृष्‍ण राधारानी को अपनी स्‍वामिनी मानते थे। इतना ही स्‍वयं को उनका दास कहा करते थे। ये तो सभी जानते हैं श्रीकृष्ण वृंदावन से विशेष प्रेम किया करते थे। यानि भगवान अगर भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करना है तो आपको राधारानी की पूजा करनी चाहिए। वहां श्रीकृष्‍ण की मौजूदगी तो जरूर होगी। पुराणादि में राधाजी का कृष्ण वल्लभा कहकर गुणगान किया गया है।

श्रीमद देवी भागवत में श्रीराधा की पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता। श्रीराधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं। आज के दिन राधारानी के मंत्रों का जाप करने, राधाष्‍टमी की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से व्‍यक्ति के जाने.अनजाने किए गए तमाम पाप मिट जाते हैं और अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है।

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